वृश्चिक
(तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
वृश्चिक राशि वालों के लिए गुरु का धनु राशि में गोचर उनकी जन्मराशि से द्वितीय भाव में होगा। द्वितीय भाव में गुरु का गोचर सामान्यत: शुभफलदायक होता है, जिसके फलस्वरूप प्राय: सभी क्षेत्रों में शुभफलों की प्राप्ति होती है। भाग्य का सहयोग मिलता है। उत्साह एवं पराक्रम में वृद्धि होती है। धार्मिक एवं सहयोगी प्रवृत्ति में वृद्धि होती है। ज्योतिष एवं अध्यात्म की ओर झुकाव होता है। अच्छा साहित्य पढ़ने में आनन्द का अनुभव होता है। आर्थिक मामलों में शुभ समाचारों की प्राप्ति होगी। आय में वृद्धि के अवसर आएँगे। पूर्व में किए गए धन-निवेश से लाभ मिलेगा। सामाजिक मान-प्रतिष्ठा में वृद्धि का अनुभव होगा। परिजनों से सम्बन्धित शुभ समाचारों की प्राप्ति होगी। घर में मांगलिक कार्यक्रमों का आयोजन सम्भव होगा। परिवार में प्रेम एवं सौहार्द में वृद्धि होगी। पदोन्नति, वेतनवृद्धि अथवा बेहतर नौकरी प्राप्ति के अवसर आएँगे। आपके कार्यों एवं प्रयासों की कार्यालय में सराहना होगी। उच्चाधिकारियों से अच्छे सम्बन्ध बनेंगे। व्यवसायियों को भी व्यवसाय में राहत का अनुभव होगा। अटके हुए भुगतान की प्राप्ति से व्यवसाय की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। व्यवसाय विस्तार एवं लाभ में वृद्धि के भी योग हैं।
