आरुषि हत्याकाण्ड वास्तुदोषों की भी है अहम भूमिका

वास्‍तु

प्रत्येक हत्या में वास्तुदोषों की भी अहम भूमिका होती है| डॉ. राजेश तलवार के घर नोएडा के सेक्टर २५ के फ्लैट में नम्बर एल-३२ में हुए दोहरे हत्याकाण्ड में भाग्य के साथ-साथ उनके घर के वास्तु की भी अहम भूमिका रही| जहॉं उनकी इकलौती बेटी आरुषि की गला काट कर हत्या कर दी गई, वहीं उनके नौकर हेमराज को भी मौत के घाट उतार दिया गया|
कई घरों की बनावट में इतने गम्भीर वास्तुदोष होते हैं कि उनसे उत्पन्न नकारात्मक ऊर्जा के कारण वहॉं पर हत्या जैसे जघन्य अपराध हो ही जाते हैं| ऐसे में प्रश्‍न उठता है कि आखिर उन घरों में ऐसे कौन से दोष होते हैं, जहॉं हत्याओं जैसी घटनाएँ घटती हैं|
किसी भी हत्या के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जैसे रंजिश, लड़ाई-झगड़े, चोरी, डकैती के दौरान, धोखा, फरेब, लूटमार, प्रेम-प्रसंग, चरित्रहीनता आदि, परन्तु यह भी तय है कि जिस घर में हत्या होगी उस घर में निश्‍चित रूप से दो या दो से अधिक गम्भीर वास्तुदोष अवश्य होंगे| यदि किसी के घर में केवल एक गम्भीर वास्तुदोष है, तो उस घर में होने वाले हादसे में केवल घातक चोट के योग ही बनते हैं, परन्तु किसी की मृत्यु नहीं हो सकती| हत्या किस कारण से होगी, यह निर्भर करता है कि उस घर में वास्तुदोष किस दिशा में और किस प्रकार का है, परन्तु यह निश्‍चित है कि हत्या वाले घर का नैर्ॠत्यकोण जरूर दोषपूर्ण होता है, जैसे नैर्ॠत्यकोण में भूमिगत पानी की टंकी, कुआँ, बोरवेल या किसी भी प्रकार से फर्श नीचा हो या दक्षिण या पश्‍चिम नैर्ॠत्यकोण बढ़ जाए| इस दोष के साथ यदि उस घर के पश्‍चिम नैर्ॠत्यकोण में मुख्यद्वार हो, तो घर के पुरुष सदस्य की हत्या तथा यदि मुख्यद्वार दक्षिण-नैर्ॠत्यकोण में हो, तो उस घर की स्त्री की हत्या की सम्भावना बलवती हो जाती है| यह तो हुआ एक वास्तुदोष| हत्या वाले घरों में दूसरा वास्तुदोष ईशानकोण में भी होता है| जैसे ईशानकोण कट जाए, घट जाए, गोल हो जाए, ऊँचा हो, ऊँचा होकर वहॉं टॉयलेट हो या वह कमरे या शेड के कारण ढँक गया हो इत्यादि|
सुधि पाठकों के मन में जरूर विचार आ रहा होगा कि ज्यादातर मल्टीस्टोरी बिल्डिंग में जो फ्लैट्‌स बनते हैं, उनकी सीवरेज लाईन, डक्ट इत्यादि के कारण बनावट एक समान ही होती है, तो यह घटना
डॉ. तलवार के फ्लैट में क्यों हुई?
नोएडा के सैक्टर २५ के एल ब्लॉक में बने सभी घरों की बनावट अनियमित आकार की है, जिनकी सभी दिशाओं में कटाव एवं बढ़ाव है| इन सभी घरों की दिशाएँ मध्य में न होकर ३० डिग्री के लगभग सीधे हाथ की ओर खिसकी हुई हैं| डॉ. तलवार का घर दूसरी मंजिल पर स्थित है| इस ब्लॉक की सीढ़ी से ऊपर जाने पर पहली एवं दूसरी मंजिल पर चार-चार फ्लैट हैं और उसके बाद छत है| इन चारों फ्लैटों में डॉ. तलवार का घर दक्षिणमुखी है| बाकी तीन फ्लैटों के द्वार क्रमश: पश्‍चिममुखी, उत्तरमुखी एवं पूर्वमुखी हैं| डॉ. तलवार के घर का प्रवेशद्वार दक्षिण नैर्ॠत्यकोण पर स्थित है और केवल डॉ. तलवार ने ही अपने मुख्यद्वार (गेट नम्बर १) के सामने जो पैसेज है, उस पर अतिक्रमण करके एक और गेट आगे की तरफ बढ़ाकर लगाया है, रेखाचित्र-१ में इसे गेट नम्बर २ दर्शाया है| दक्षिण नैर्ॠत्य में इस तरह किसी भी फ्लैट मालिक ने आगे बढ़कर कोई गेट नहीं लगाया है| इस बढ़ाव से इनके घर का दक्षिण-नैर्ॠत्य बढ़ गया और कचरा फेंकने की डक्ट, जो बाहर की ओर थी, वह भी इनके घर का भाग हो गई| इस तरह यह डक्ट दक्षिण-नैर्ॠत्य का गड्‌ढा बन गई| गेट के एक तरफ कचरा फेंकने की डक्ट और दूसरी तरफ पश्‍चिम-नैर्ॠत्य की ओर सीढियॉं उतार लिए हुए पहले से ही थीं| इस तरह यह हुआ, नैर्ॠत्यकोण में इस फ्लैट का पहला गम्भीर वास्तुदोष|
इस वास्तुदोष के अलावा दूसरा दोष इस फ्लैट के ईशानकोण की गोलाई एवं कटाव के रूप में है| जैसा कि रेखाचित्र-१ में दिखाया गया है| यहॉं पर बने सभी फ्लैटों का एक कोना जहॉं बरामदा है, गोलाई लिए हुए हैं| डॉ. तलवार के घर में गोलाई वाला भाग ईशानकोण है| जहॉं पर फ्लॉवर बेड है, जबकि अन्य फ्लैटों में यह आग्नेयकोण, नैर्ॠत्यकोण और वायव्यकोण में है| ईशानकोण के अलावा किसी अन्य कोण में इस प्रकार की गोलाई एवं कटाव विशेष वास्तुदोष उत्पन्न नहीं करता है| यहॉं भी केवल डॉक्टर तलवार ने ईशानकोण के इस बरामदे वाले भाग को लोहे की ग्रिल लगाकर ढँक रखा है| इस तरह ईशानकोण को ढँकने से यहॉं भी गम्भीर वास्तुदोष उत्पन्न हो गया|
डॉ. तलवार के यहॉं भी आस-पास के फ्लैटों की तरह ए. सी. लगे हुए हैं, किन्तु केवल डॉक्टर तलवार के फ्लैट की छत पर ही एक बड़े आकार का वाटर कूलर रखा हुआ है, जिसके टैंक का आकार भी बहुत बड़ा है| इससे जुड़ी डक्ट से ठण्डी हवा फ्लैट में जाती है| यह वही कूलर है, जिसके पानी में हत्या के बाद कुछ धोया गया था, क्योंकि पुलिस जॉंच में उस पानी में खून मिला हुआ पाया गया है| यह कूलर फ्लैट की छत के आग्नेयकोण वाले भाग में रखा हुआ है, जबकि आस- पास दूर-दूर तक किसी भी फ्लैट के ऊपर ए.सी. लगे होने के कारण कहीं भी कूलर रखा हुआ दिखाई नहीं दिया| इस जम्बो साइज कूलर का वाटर टैंक भी जम्बो साइज का है| वास्तुसिद्धान्त है कि यदि घर के आग्नेयकोण में ओवर हैड वाटर टैंक या किसी भी तरह अधिक मात्रा में पानी रखा हो, तो घर की आर्थिक स्थिति खराब रहती है अथवा परिवार की किसी कन्या सदस्य को बेवजह बदनामी का सामना करना पड़ता है| इस तरह पानी का यह जमाव डॉ. तलवार की बेटी आरुषि की बदनामी का कारण बना|
यहॉं एक बात और ध्यान देने की है कि डॉ. तलवार ने घर की सुरक्षा बढ़ाने के लिए एक और गेट नम्बर २ बनवाया, जो कि नैर्ॠत्यकोण के दोष का कारण बना और दूसरी ओर ईशानकोण के खुले बरामदे को ढँकने के लिए लोहे की ग्रिल लगवाई, जिससे ईशानकोण का दोष और गम्भीर हो गया|
डॉ. अनीता दुर्रानी की बदनामी के वास्तुदोषीय कारण
नोएडा के डॉक्टर दम्पती प्रफुल्ल दुर्रानी और अनीता दुर्रानी के डॉ. तलवार के परिवार के साथ पारिवारिक सम्बन्ध हैं| आरुषि हत्याकाण्ड की जॉंच के प्रारम्भ में पुलिस ने दावा किया कि हत्याकाण्ड के पीछे कहीं न कहीं डॉ. तलवार और डॉ. अनीता दुर्रानी के बीच अवैध सम्बन्ध होना है| पुलिस के इस बयान का दुर्रानी दम्पती ने जोरदार विरोध करते हुए इस बात को पूरी तरह से नकार दिया| फिर भी जो बदनामी इस परिवार की होनी थी, वह पुलिस के इस बयान से हो गई और मीडिया ने भी इस बात को खूब उछाला| दुर्रानी परिवार की इस बदनामी में भाग्य के साथ-साथ घर के वास्तु की भी अहम भूमिका रही है|
उत्तर दिशा एवं उत्तर ईशान में यदि वास्तुदोष हैं, तो निश्‍चित ही वहॉं रहने वालों को अपयश का सामना करना पड़ता है|
डॉ. दुर्रानी नोएडा के जी-३५ ए में रहते हैं| यह एक डायगोनल प्लॉट पर बना ग्राउण्ड फ्लोर फ्लैट है, जिसकी दिशाएँ मध्य में न होकर कोने में हैं| डॉ. दुर्रानी ने आस-पास के फ्लैटों से हटकर अपने घर के फ्रंट एलिवेशन को अपने अनुसार निर्मित किया है| फ्रंट एलिवेशन की इस बनावट में बरामदा तो समकोण है, किन्तु उत्तर दिशा एवं उत्तर ईशान में दो कटाव दिए गए हैं| इस कटाव से उत्तर दिशा एवं ईशानकोण वाला भाग कट गया है| फ्लैट के अगले भाग में दो द्वार हैं एक द्वार उत्तर ईशान (गेट नं. २) में है, जैसा कि रेखाचित्र २ में दिखाया है|
दक्षिण दिशा वाले घर के पिछले भाग मे दो बड़े सीवरेज चैम्बर हैं| इन सीवरेज चैम्बरों के गड्‌ढों के कारण घर का उत्तर दिशा वाला भाग ऊँचा हो गया है| दक्षिण दिशा स्थित इस प्रकार के गड्‌ढे गम्भीर वास्तुदोष की श्रेणी में आते हैं, जिसका कुप्रभाव घर की स्त्रियों पर विशेष रूप से पड़ता है|
फ्लैट की उत्तर दिशा के इन वास्तुदोषों ने दुर्रानी परिवार को अपयश दिलाया, बदनाम किया और दक्षिण दिशा के सीवर चैम्बरों ने विशेष तौर पर डॉ. अनीता दुर्रानी को बदनामी के साथ-साथ विशेष मानसिक कष्ट पहुँचाया|•
लेखक वास्तुशास्त्र के ख्यातिप्राप्त विशेषज्ञ हैं|

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