अध्ययन में उच्च सफलता दिलाता है गणेश रुद्राक्ष

ज्‍योतिष

वर्तमान समय में सफलता का मापदण्ड यही माना जाता है कि व्यक्ति के समीप स्वयं की आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु पर्याप्त सुख—सुविधाएँ उपलब्ध हों| उसके पास अच्छा घर, अच्छा वाहन और समाज में उसकी पूर्ण मान-प्रतिष्ठा हो|
यह सफलता उसे तभी प्राप्त हो सकती है, जब व्यक्ति अपने अध्ययन काल में श्रेष्ठ रहा हो| अध्ययनकाल में श्रेष्ठता के आधार पर ही वह उच्चस्तरीय यथा — खखढ, अखएएए, उझचढ, उअढ, ॠअढ, चएढ, खउड, झउड जैसी प्रतियोगिता परीक्षाएँ उत्तीर्ण कर उच्च तकनीकी शिक्षा प्राप्त करता हैतथा इन परीक्षाओं में प्राप्त सफलता के आधार पर ही वह उच्चस्तरीय कॅरियर प्राप्त करता है, अत: यही अध्ययनकाल व्यक्ति के भावी जीवन का प्रमुख स्तम्भ एवं आधार है, जिस पर उसके भावी सपनों की इमारत टिकी हुई है| ऐसे में यही आधार सुदृढ़ न हो, तो व्यक्ति का सम्पूर्ण जीवन अभावों से युक्त हो जाता है| इसलिए विद्यार्थी को इस काल में पूर्णरूप से सावचेत रहना चाहिए तथा विद्यार्थी के माता-पिता को भी अपने बच्चों को उनका भविष्य निर्धारण करने में पूर्ण सुख-सुविधाएँ एवं वातावरण को उपलब्ध करवाना चाहिए|
इस अध्ययनकाल में विद्यार्थी कच्चे घड़े के की भॉंति होता है, जिसे जैसा चाहें वैसा रूप दिया जा सकता है, इसलिए इस काल में व्यक्ति कुछ ऐसी भूल कर बैठता है, जिसके लिए उसे सम्पूर्ण जीवन पछताना पड़ता है, अध्ययन के प्रति लापरवाह होना, स्मरणशक्ति का क्षीण होना, लेखन कला का विकसित नहीं होना, कुसंगति आदि वे कारण हैं, जिनके फलस्वरूप व्यक्ति का प्रदर्शन अध्ययन काल में श्रेष्ठ नहीं रह पाता है|
आधुनिक युग प्रतिस्पर्द्धा का युग है| अच्छे विद्यालयों, उत्कृष्ट कोचिंग सेंटरों, अच्छे नोट्‌स आदि की उपलब्धता एवं अन्य भौतिक सुख-सुविधाओं की उपलब्धता के कारण विद्यार्थियों के मध्य पूर्वोक्त परीक्षाओं में सफलता प्राप्ति के लिए अत्यधिक प्रतिस्पर्द्धा रहती है| समान प्रतिशत पर अनेक प्रतियोगियों के होने के कारण कुछ अंकों के कारण विद्यार्थी प्रतियोगिता परीक्षा में सफलता से वंचित रह जाता है अर्थात् तात्पर्य यह है कि वर्तमान में सफलता के लिए परिश्रम के अतिरिक्त भाग्य अथवा देव कृपा की भी अत्यन्त आवश्यकता होती है|
योग्यता एवं पूर्ण प्रतिभा होने के बावजूद कई व्यक्ति अपने उत्तम मनोरथ की पूर्ति नहीं कर पाते हैं, उनमें एकाग्रता एवं स्मरणशक्ति का अभाव, कुसंगति एवं लापरवाही के कारणों से अध्ययन में प्रदर्शन श्रेष्ठ नहीं हो पाता है| दूसरी ओर भाग्य के सम्यक् रूप से साथ नहीं देने के कारण भी उन्हें प्रतियोगिता परीक्षाओं में सफलता से वंचित रहना पड़ता है|
ऐसे में क्या किया जाए कि व्यक्ति अपने अध्ययनकाल के दौरान आने वाली चाही-अनचाही बाधाओं का निवारण कर सके और उसके पथ में आने वाली सभी बाधाएँ हट जाएँ| ऐसे में इन सभी बाधाओं को दूर करने में सर्वोत्कृष्ट उपाय है ‘गणेश रुद्राक्ष’|
रुद्राक्ष भगवान् आशुतोष शिव शंकर का प्रिय आभूषण माना जाता है| इन्हीं रुद्राक्षों में गणेश रुद्राक्ष अध्ययन के प्रति एकाग्रता में वृद्धि करने, स्मरण शक्ति को बढ़ाने, लेखन कौशल की संवृद्धि, बुद्धि प्रदाता भगवान् श्री गणेश की कृपा प्राप्ति एवं लेखन तथा अध्ययन का कारक बुध ग्रह की अनुकूलता प्राप्त करने के लिए जाना जाता है|
गणेश रुद्राक्ष ऐसे विद्यार्थियों के लिए तो उपयोगी है ही, जो अल्प बुद्धिमान् भी तथा जिनमें स्मरणशक्ति का अभाव है, साथ ही ये ऐसे विद्यार्थियों के लिए भी अत्यन्त उपयोगी है, जिनकी बुद्धि तो कुशाग्र है, परन्तु उनका अध्ययन में मन नहीं लगता है| परिणामत: वे परीक्षाओं में अच्छा प्रदर्शन कर पाने में असमर्थ होते हैं| ऐसे विद्यार्थी अध्ययन के स्थान पर अन्य कार्यों में यथा; टीवी देखना, कॉमिक्स पढ़ना, दोस्तों के साथ घूमना आदि में अपना समय बर्बाद करते हैं तथा जब परीक्षाएँ सिर पर आती हैं, तो कुछ दिन पढ़कर तथा परीक्षा देकर खानापूर्ति कर देते हैं| इनको प्राप्त अंकों के आधार पर उच्चस्तरीय कॉलेजों में प्रवेश भी नहीं मिलेअत: जातक अपनी कुशाग्र बुद्धि का उचित लाभ नहीं उठा पाता है| गणेश रुद्राक्ष ऐसा उपाय है, जिसके माध्यम से व्यक्ति अपनी उच्चस्तरीय सफलता को प्रदर्शित कर सकता है| वह गणेश रुद्राक्ष धारण करके तथा विघ्नहर्ता एवं बुद्धिप्रदाता भगवान् गणपति की आराधना करके अपने अध्ययन को सफलता के चरमोत्कर्ष पर पहुँचा सकता है| इसे धारण करने से व्यक्ति अध्ययन के प्रति सावचेत हो जाएगा तथा परिणामस्वरूप वह परीक्षाओं में परिश्रम और कुशाग्र बुद्धि के संयोग से आश्‍चर्यजनक सफलता प्राप्त करेगा|
विद्यार्थियों के समक्ष अध्ययन में स्मरणशक्ति का अभाव सबसे बड़ी समस्या के रूप में दृष्टिगोचर होती है| कई विद्यार्थियों का कथन होता है कि परीक्षा से पूर्व तो उन्हें सभी कुछ याद था, परन्तु जैसे ही प्रश्‍नपत्र सामने आया, तो वह सब कुछ भूल गया| अनेक परीक्षार्थी यह कहते हुए मिल जाते हैं कि उन्हें अमुक प्रश्‍न का उत्तर तो याद था, परन्तु परीक्षा भवन में वह याद नहीं आया, किन्तु बाहर आते ही याद आ गया| ऐसे विद्यार्थियों के लिए भगवान् गणपति की आराधना के साथ ही साथ उनका प्रिय गणेश रुद्राक्ष भी धारण करना श्रेयस्कर रहता है|
परीक्षा में सफलता के लिए उत्कृष्ट लेखन शैली का होना भी अत्यन्त आवश्यक है| समान रूप से परिश्रम करने वाले दो विद्यार्थी अलग-अलग अंकों से सफल होते देखे गए हैं| इनमें लेखनशैली की उत्कृष्टता ही परिलक्षित होती है| कोई प्रतियोगी कम शब्दों में सटीक उत्तर दे देता है तथा कोई अधिक शब्दों में भी सटीक उत्तर नहीं दे पाता है| यह भी देखा गया है कि कुछ विद्यार्थियों को प्रश्‍न से सम्बन्धित तथ्यात्मक जानकारी, तत्सम्बन्धित उद्धरण तथा सटीक उत्तर कम याद रहता है, परन्तु वे अपने लेखन कौशल के बल पर उचित उत्तर देकर अधिक अंक प्राप्त कर लेते हैं| यह सब लेखन कौशल का ही प्रभाव है| गणेश रुद्राक्ष तथा भगवान् गणपति की आराधना व्यक्ति के मन-मस्तिष्क में उत्कृष्ट कल्पनाओं एवं सुगठित शब्दों का संचार करती है, जिससे व्यक्ति अपने विचारों को सुन्दर स्वरूप देने में सक्षम हो जाता है तथा परीक्षा में सर्वाधिक अंक प्राप्त करता है|
गणेश रुद्राक्ष बुद्धि एवं वाणी के कारक बुध ग्रह का प्रतीक है| बुध ग्रह को लेखनकला एवं बुद्धि का कारक माना जाता है| जो व्यक्ति इसे धारण करता है, उसमें बुध से सम्बन्धित सभी गुणों का समावेश हो जाता है|
भगवान् गणेश को विघ्नकर्ता एवं विघ्नहर्ता दोनों ही स्वरूपों में स्वीकार किया गया है| जिस पर ये कृपा करते हैं, उसके सभी विघ्नों का हरण भी कर लेते हैं और जिस पर ये क्रुद्ध होते हैं, उसके कार्यों में अनेक विघ्न भी उत्पन्न कर देते हैं| यही कारण है कि इन्हें प्रथम पूज्य एवं स्मरणीय माना जाता है| अध्ययन में विघ्न नहीं पड़े और अध्ययन सुचारू रूप से चलता रहे इसके लिए गणेश कृपा की अत्यन्त आवश्यकता होती है और इसी आवश्यकता को पूर्ण करता है, ‘गणेश रुद्राक्ष’|
उपर्युक्त वर्णित गणेश रुद्राक्ष से सम्बन्धित चामत्कारिक प्रभाव अनेक जातकों पर अध्ययन, बुद्धि, विवेकशीलता एवं स्मरणशक्ति आदि क्षेत्रों में कई बार अनुभूत किए गए हैं| गणेश रुद्राक्ष में श्री गणेश के बल, बुद्धि एवं कौशल का सम्पूर्ण प्रभाव दृष्टिगोचर किया गया है| इस रुद्राक्ष में शिव की शक्ति तो निहित है ही, साथ ही बुद्धि एवं चातुर्यप्रदाता श्री गणेश का प्रसाद भी विद्यमान है|
इस माह ११ फरवरी को मॉं सरस्वती का महोत्सव बसंत पंचमी पड़ रहा है, जो कि विद्यार्थियों के लिए सर्वाधिक उत्कृष्ट एवं महत्त्वपूर्ण दिवस है| इस दिन सरस्वती की कृपा तो पूर्ण रूप से प्राप्त होती ही है, साथ ही विद्यार्थियों के लिए आगामी दिवसों में आने वाली परीक्षाओं की योजना एवं उनकी क्रियान्विति का महत्त्वपूर्ण मुहूर्त भी प्रारम्भ होता है| अध्ययन एवं सृजनशीलता से सम्बन्धित किसी भी कार्य को यदि इस दिन प्रारम्भ किया जाए, तो वह निश्‍चय ही सफलता की मंजिल प्राप्त करता है| इस दिन धारण किए गए गणेश रुद्राक्ष से शिव की शक्ति, गणेश की बुद्धि एवं मॉं सरस्वती के उत्तम ज्ञान से सराबोर व्यक्तित्व एवं कृतित्व विद्यार्थी को प्राप्त हो सकता है, साथ ही धारण किया गया गणेश रुद्राक्ष अत्यधिक शुभकारी एवं शीघ्र फलदायी सिद्ध होगा| •

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *