गुरु-चाण्डाल योग और धनु का गुरु
गुरु के अशुभ योगों में गुरु- चाण्डालयोग की गणना प्रमुखता से होती है। राहु के साथ गुरु की युति गुरु-चाण्डाल योग कहलाती है। यह युति अंशात्मक रूप से जितनी समीप होती है, उतना ही गुरु दूषित होकर अशुभफलदायक हो जाता है। सामान्यत: गुरु-चाण्डाल योग लग्न, तृतीय, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम एवं द्वादश भाव में तुलनात्मक रूप […]
Continue Reading