शिवाज्ञा से हुई रामचरितमानस की रचना

स्वामी जी ने पाण्डाल में कथा सुनने में लीन मौन साधे बैठे भक्तों की ओर देखा और ‘जय श्री राम’ का उद्घोष किया तो श्रद्धालुओं के ‘जय-जय श्री राम’ के उद्घोष ने आकाश को गुँजा दिया| स्वामी जी ने कथा की अविरल बहती धारा जारी रखते हुए कहा ‘‘समय से पहले और भाग्य से अधिक […]

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पत्नी की धिक्कार बनी वरदान!

स्वामी जी ने ठसाठस भरे पांडाल पर दृष्टि डाली और ‘‘जय श्रीराम’’ का उद्घोष किया, तो श्रद्धालुओं ने पूरे जोश से ‘‘जय-जय श्रीराम’’ के उद्घोष ने दशों दिशाओं को गुंजायमान कर दिया| स्वामी जी ने पुन: कथा आरम्भ की ‘‘तुलसीदासजी पत्नी के कोमलपाश में ऐसे बँधे कि छह वर्ष तक पत्नी को पीहर नहीं भेजा| […]

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तुलसीदास चन्दन घिसे तिलक करे रघुवीर …

भगवान् शिव की जटा से निकली भागीरथी पतित पावनी माता गंगा की कलकल लहरें, सुहानी शीतल पवन, चहचहाते आकाश में परवाज भरते पक्षी मानो राम-राम का उच्चारण कर रहे हों, हर ओर प्रकृति ने जैसे हृदय खोलकर अनुकम्पा करते हुए अपनी नयनाभिराम छटा बिखेरी हो, अर्थात् स्वर्ग-सा वातावरण| तट पर खुली हरितिमा लिए मैदान में […]

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