शिवाज्ञा से हुई रामचरितमानस की रचना
स्वामी जी ने पाण्डाल में कथा सुनने में लीन मौन साधे बैठे भक्तों की ओर देखा और ‘जय श्री राम’ का उद्घोष किया तो श्रद्धालुओं के ‘जय-जय श्री राम’ के उद्घोष ने आकाश को गुँजा दिया| स्वामी जी ने कथा की अविरल बहती धारा जारी रखते हुए कहा ‘‘समय से पहले और भाग्य से अधिक […]
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