सत्संगति के गुण

जाड्‌यं धियो हरति सिञ्चति वाचि सत्यम् मानोन्नतिं दिशति पापमपाकरोति| चेतः प्रसादयति दिक्षु तनोति कीर्तिम्, सत्संगतिः कथय किम् न करोति पुंसाम्‌॥ सत्संगति बुद्धि की जड़ता को दूर करती है| वाणी में सत्य का आधान करती है, सम्मान और उन्नति प्रदान करती है, पाप को दूर करती है, हृदय को प्रसन्न करती है और दिशाओं में कीर्ति […]

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