अखण्ड सत्य के द्रष्टा हैं कबीर

भारत में अनेक सन्त-महात्माओं ने जन्म लेकर समाज को सच्ची राह दिखाई| संवत् 1455 में जब कबीर साहब का प्राकट्य इस धरा पर हुआ, वह समय राजनीतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक उथल-पुथल का था| समाज में अलगाव, भेदभाव, अत्याचार, घृणा-द्वेष की पराकाष्ठा विद्यमान थी| ऐसे कठिन समय में कबीर युग नायक की तरह सभी को प्रेम […]

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नारी की झॉंई पड़त, अन्धा होत भुजंग

सन्त कबीर जहॉं अनुभूत ज्ञान का वट वृक्ष थे, वहीं आत्मसात योग्य तर्क के विद्वान् एवं मानव रूप में कोई अवतार ही थे, क्योंकि उनके जैसे हालात में सन्त शिरोमणी, ज्ञानकोष, परमभक्त और सत्यनिष्ठ होने की कल्पना भी नहीं की जा सकती, ऐसा होना तो दूर की बात है| बचपन में अभाव ऐसे थे कि […]

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