अखण्ड सत्य के द्रष्टा हैं कबीर

भारत में अनेक सन्त-महात्माओं ने जन्म लेकर समाज को सच्ची राह दिखाई| संवत् 1455 में जब कबीर साहब का प्राकट्य इस धरा पर हुआ, वह समय राजनीतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक उथल-पुथल का था| समाज में अलगाव, भेदभाव, अत्याचार, घृणा-द्वेष की पराकाष्ठा विद्यमान थी| ऐसे कठिन समय में कबीर युग नायक की तरह सभी को प्रेम […]

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बूझों तो जानें-1

1.वाल्मीकि रामायण के अनुसार भगवान् राम का जन्म कौन-से नक्षत्र में हुआ था? (क) पुष्य (ख) पुनर्वसु (ग) अश्‍लेषा (घ) मघा< 2. किस प्रसिद्ध ज्योतिर्विद् ने भगवान् राम का जन्मनक्षत्र पुष्य में माना है? (क) वराहमिहिर (ख) पृथुयश (ग) नृसिंह दैवज्ञ (घ) गणेश दैवज्ञ 3. विक्रम संवत् 2067 में प्रारम्भ होने वाले नवसंवत्सर का नाम […]

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नारी की झॉंई पड़त, अन्धा होत भुजंग

सन्त कबीर जहॉं अनुभूत ज्ञान का वट वृक्ष थे, वहीं आत्मसात योग्य तर्क के विद्वान् एवं मानव रूप में कोई अवतार ही थे, क्योंकि उनके जैसे हालात में सन्त शिरोमणी, ज्ञानकोष, परमभक्त और सत्यनिष्ठ होने की कल्पना भी नहीं की जा सकती, ऐसा होना तो दूर की बात है| बचपन में अभाव ऐसे थे कि […]

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राम गुण गाये से …

ये राम गुण गाये से आनन्द होता है ये राम गुण गाये से आनन्द होता है, ये हरि का गुण गाये से आनन्द होता है| आनन्द होता है परमानन्द होता है, ये राम गुण गाये से आनन्द होता है॥ टेर ॥ यह माया मन की मोहनी क्यों जी ललचाता है, कर्मों में लिख दिया कॉंकरा […]

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आप दिव्यात्मा हैं

परमहंस योगानन्द ई श्‍वर ने हमें विविध स्वरूपों में मानवीय सम्बन्ध एक ही उद्देश्य के लिए दिए हैं| हमें एक दूसरे से सीखना है| एक अर्थ में प्रत्येक व्यक्ति हमारा गुरु र्है| बच्चे हमें सिखाते हैं, वे हमें अनुशासित करते हैं| उनके जीवन को उचित सॉंचे में ढालने में उनकी सहायता करने के लिए हमें […]

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सत्संगति के गुण

जाड्‌यं धियो हरति सिञ्चति वाचि सत्यम् मानोन्नतिं दिशति पापमपाकरोति| चेतः प्रसादयति दिक्षु तनोति कीर्तिम्, सत्संगतिः कथय किम् न करोति पुंसाम्‌॥ सत्संगति बुद्धि की जड़ता को दूर करती है| वाणी में सत्य का आधान करती है, सम्मान और उन्नति प्रदान करती है, पाप को दूर करती है, हृदय को प्रसन्न करती है और दिशाओं में कीर्ति […]

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शिवाज्ञा से हुई रामचरितमानस की रचना

स्वामी जी ने पाण्डाल में कथा सुनने में लीन मौन साधे बैठे भक्तों की ओर देखा और ‘जय श्री राम’ का उद्घोष किया तो श्रद्धालुओं के ‘जय-जय श्री राम’ के उद्घोष ने आकाश को गुँजा दिया| स्वामी जी ने कथा की अविरल बहती धारा जारी रखते हुए कहा ‘‘समय से पहले और भाग्य से अधिक […]

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पत्नी की धिक्कार बनी वरदान!

स्वामी जी ने ठसाठस भरे पांडाल पर दृष्टि डाली और ‘‘जय श्रीराम’’ का उद्घोष किया, तो श्रद्धालुओं ने पूरे जोश से ‘‘जय-जय श्रीराम’’ के उद्घोष ने दशों दिशाओं को गुंजायमान कर दिया| स्वामी जी ने पुन: कथा आरम्भ की ‘‘तुलसीदासजी पत्नी के कोमलपाश में ऐसे बँधे कि छह वर्ष तक पत्नी को पीहर नहीं भेजा| […]

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तुलसीदास चन्दन घिसे तिलक करे रघुवीर …

भगवान् शिव की जटा से निकली भागीरथी पतित पावनी माता गंगा की कलकल लहरें, सुहानी शीतल पवन, चहचहाते आकाश में परवाज भरते पक्षी मानो राम-राम का उच्चारण कर रहे हों, हर ओर प्रकृति ने जैसे हृदय खोलकर अनुकम्पा करते हुए अपनी नयनाभिराम छटा बिखेरी हो, अर्थात् स्वर्ग-सा वातावरण| तट पर खुली हरितिमा लिए मैदान में […]

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