चमत्कारी शक्तिपीठ त्रिपुरा सुन्दरी

अरावली पर्वत की गगनचुम्बी ऊँचाइयों के मध्य दक्षिणी राजस्थान की प्राचीन आदिवासी पट्टी का क्षेत्र आता है। इस क्षेत्र में चारों ओर फैली हरियाली के मध्य धीरे-धीरे सरगम छेड़ती महानदियॉं हैं। माही, सोम, जाखम और अनेक नदियों के द्वारा वरदान बने इस क्षेत्र में स्थान-स्थान पर मनमोहक झीलें, तालाब और उनके आस-पास अनेक प्रकार के […]

Continue Reading

कुल्लू दशहरा-एक अनोखी परम्परा

सामान्य तौर पर भारत में दशहरा का पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत के स्वरूप में रावण दहन के रूप में मनाया जाता है, परन्तु हिमाचल प्रदेश के कुल्लू नामक स्थान पर दशहरा उत्सव को मनाने का कारण यह नहीं होकर कुछ और है| स्थानीय विश्‍वास के अनुसार कुल्लू में दशहरा उत्सव जो कि सात […]

Continue Reading

कुमारी पूजन से प्रसन्न होती हैं दुर्गा

नवरात्र में जितना दुर्गापूजन का महत्त्व है, उतना ही कुमारी पूजन का भी महत्त्व है| देवीपुराण के अनुसार इन्द्र ने जब ब्रह्माजी से भगवती दुर्गा को प्रसन्न करने की विधि पूछी, तो उन्होंने सर्वोत्तम विधि के रूप में कुमारी पूजन ही बताया और कहा कि भगवती जप, ध्यान, पूजन और हवन से भी इतनी प्रसन्न […]

Continue Reading

किस तिथि को हुआ रावण का वध?

आश्‍विन शु. 10 • आश्‍विन शु. 09 • वैशाख कृष्ण 30 • वैशाख कृष्ण 14 सामान्यत: यह माना जाता है कि आश्‍विन शुक्ल दशमी को रावण का वध हुआ था, परन्तु शास्त्रों और विद्वानों के द्वारा इस तिथि को रावण वध के रूप में मान्यता नहीं दी जाती है| रावण वध की तिथियों के निर्धारण […]

Continue Reading

ऐसे प्राप्त की मेघनाद ने अमोघ शक्तियॉं

राम-रावण युद्ध में रावण के पुत्र मेघनाद ने तीन बार भगवान् राम और उनकी सेना को संकट में डाल दिया था| इन्द्र पर विजय प्राप्त करने वाला मेघनाद अपने पिता से भी अधिक शक्तिशाली था| उसने ये शक्तियॉं ७ यज्ञों का अनुष्ठान करके प्राप्त की थीं| लंका में निकुम्भिला उपवन में उसने एक मन्दिर का […]

Continue Reading

ऐसी थी भगवान् की व्यूह रचना

तीनों लोकों के विजेता राक्षसराज रावण पर विजय प्राप्त करने के लिए भगवान् श्रीराम ने समय-समय पर सेना की विभिन्न प्रकार से व्यूह रचना की| उस विशाल वानर-ॠक्ष-लंगूर सेना का प्रबन्धन करना ही बड़ा कठिन था| तुलसीदासजी कहते हैं कि उस सेना में 18 पद्म तो यूथपति ही थे| महर्षि वाल्मीकि के अनुसार नील की […]

Continue Reading

क्या विजयादशमी के दिन हुआ था रावण वध

शरद् ॠतु के अवतरण की घोषणा करते हुए नवरात्र जैसे ही आते हैं, तो साथ ही रामलीला की गूँज और गरबा जैसे नृत्यों की बहार को भी साथ लाते हैं| इन नवरात्र में अपनी कुल परम्परा के अनुसार देवी का पूजन किया जाता है| भगवान् राम के पूजन की परम्परा ने भी पिछले काफी समय […]

Continue Reading

गया श्राद्ध का महत्त्व

श्राद्ध एवं पिण्डदान आदि के लिए समस्त तीर्थों में गया तीर्थ का विशेष महत्त्व है| धर्मशास्त्रों के अनुसार मृत्यु के पश्‍चात् व्यक्ति पितृ योनि में पितृलोक में निवास करता हैऔर वहॉं रहकर सुख-दु:ख आदि का भी अनुभव करता है| यदि मृतक के पुत्र-पौत्रादि उसके निमित्त दान-पुण्य एवं श्राद्धादि करते हैं, तो उसे सुख की प्राप्ति […]

Continue Reading

ऐसे भी कर सकते हैं श्राद्ध

निर्धन होने की स्थिति में केवल शाक से श्राद्ध करना चाहिए| यदि शाक भी नहीं हो, तो घास काटकर गाय को खिला देने मात्र से श्राद्ध सम्पन्न माना जाता है| यदि किसी कारणवश घास भी उपलब्ध न हो, तो किसी एकान्त स्थान पर जाकर श्रद्धा एवं भक्तिपूर्वक अपने हाथों को ऊपर उठाते हुए पितरों से […]

Continue Reading

ऐसे करें श्राद्ध

शास्त्रों में कहा गया है कि ‘श्रद्धया पितृन् उद्दिश्य विधिना क्रियते यत्कर्म तत् श्राद्धम्’ अर्थात् श्रद्धापूर्वक पितरों के उद्देश्य से जो कर्म किया जाता है, वह श्राद्ध कहलाता है| इसका मूल आशय यह है कि श्राद्धकर्म में सर्वप्रमुख श्रद्धा ही होती है| श्रद्धा के सामने अन्य विधि-विधान या उपक्रम गौणमात्र रह जाते हैं| महर्षि पराशर […]

Continue Reading