गुरु-शनि की धनु-मकर में युति का गोचर
India-China Tensions-2020
बृहस्पति एवं शनि अपनी विशालता एवं धीमी गति के कारण पृथ्वी पर विशेष प्रभाव डालते हैं| यही कारण है कि शनि एवं बृहस्पति का गोचर पृथ्वी निवासियों को स्थायी रूप से प्रभावित करता है| जब-जब ये ग्रह युति बनाकर गोचर करते हैं अथवा परस्पर षडष्टक स्थिति में होते हैं, तो इनका प्रभाव पृथ्वी पर सामान्यत: उथल-पुथलकारी होता है| ये जन-धन की हानि करवाते हैं, एशियाई देशों में तनाव उत्पन्न करते हैं और सीमा पर संघर्ष को बढ़ाते हैं| यह भी देखा गया है कि जब-जब शनि एवं बृहस्पति की युति धनु एवं मकर राशि में हो रही हो, तब-तब एशिया के देशों में तनाव अधिक होता है| 05 नवम्बर, 2019 को जब बृहस्पति का धनु राशि में प्रवेश होगा, तब वह शनि से युति बनाता हुआ गोचर करेगा और यह युति धनु एवं मकर राशि में मौटे तौर पर निम्नानुसार रहेगी :
(क) 05 नवम्बर, 2019 से 24 जनवरी, 2020 तक धनु राशि में युति|
(ख) 30 मार्च, 2019 से 30 जून 2020 तक मकर राशि में युति|
(ग) 20 नवम्बर, 2020 से 06 अप्रैल, 2021 तक मकर राशि में युति|
(घ) 14 सितम्बर, 2021 से 20 नवम्बर, 2021 तक मकर राशि में युति|
धनु एवं मकर राशि में शनि-गुरु की युति लगभग 60 वर्ष के अन्तराल से होती है| पिछली शताब्दी में यह युति दो बार हुई| सन् 1900 से लेकर 1902 तक प्रथम बार तथा सन् 1960 से लेकर 1962 तक दूसरी बार शनि एवं बृहस्पति धनु एवं मकर राशि में युति कर गोचर कर रहे थे|
सन् 1900 से 1902 के मध्य शनि एवं बृहस्पति का धनु एवं मकर राशि में युति करते हुए गोचरावधि निम्नानुसार थी :
(क) 17 दिसम्बर, 1900 से 05 जनवरी, 1902 तक धनु राशि में शनि-बृहस्पति की युति|
(ख) 05 जनवरी, 1902 से 15 अगस्त, 1902 तक मकर राशि में शनि-बृहस्पति की युति|
(ग) 06 नवम्बर, 1902 से 19 जनवरी, 1903 तक मकर राशि में शनि-बृहस्पति की युति|
इस अवधि में चीन-जापान एवं रूस के मध्य सीमा पर तनाव-संघर्ष रहा|
दूसरी बार धनु एवं मकर राशि में बृहस्पति-शनि की युति 1960-1962 के मध्य निम्नानुसार रही :
(क) 23 जनवरी, 1960 से 01 फरवरी, 1961 तक धनु राशि में शनि-बृहस्पति की युति|
(ख)11 फरवरी, 1961 से 24 फरवरी, 1962 तक मकर राशि में बृहस्पति-शनि की युति|
उक्त गोचर के दौरान भारत एवं चीन के मध्य सम्बन्धों में तनाव हुआ, जिसकी परिणति युद्ध के रूप में हुई|
इस प्रकार एशियाई देशों के लिए शनि एवं बृहस्पति की धनु-मकर राशि में युति परेशानी उत्पन्न करती है| इसलिए इस बात की आशंका है कि इस गोचरावधि में भारत-पाकिस्तान, भारत-चीन तथा मध्य एशिया के देशों में संघर्ष एवं तनाव की स्थितियॉं बनें|