तुला राशि
(रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
तुला राशि वालों के लिए शनि का यह गोचर बहुत अनुकूल फलप्रद नहीं है, क्योंकि अब आप शनि की चतुर्थ ढैया के प्रभाव में आ गए हैं। विगत गोचरावधि में जो अनुकूलता प्राप्त हो रही थी, वह इस अवधि में प्राप्त नहीं होगी तथा आर्थिक, पारिवारिक एवं रोजगार के क्षेत्र में कतिपय प्रतिकूल परिणाम प्राप्त हो सकते हैं।
स्वास्थ्य की दृष्टि से यह गोचरावधि बहुत अनुकूल नहीं है। इसलिए खान-पान आदि के मामलों में आपको सतर्कता बरतनी चाहिए। हृदय एवं छाती से सम्बन्धित रोग परेशान कर सकते हैं। यदि आप किसी दीर्घावधि रोग से पहले से ही ग्रस्त हैं, तो इस गोचरावधि में आपको अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता होगी। इलाज विशेषज्ञ डॉक्टर से ही करवाना चाहिए, क्योंकि इलाज में किसी प्रकार की चूक होने की भी आशंका रहेगी।
गृहक्लेश की अधिकता से मन कुछ परेशान हो सकता है। किसी परिजन को लेकर चिन्ता हो सकती है। विवाह योग्य युवक-युवतियों को भी कुछ इन्तजार करना पड़ सकता है।
धन-सम्पत्ति की दृष्टि से शनि की यह गोचरावधि अनुकूल फलप्रद नहीं कही जा सकती। आय के नियमित स्रोतों से भी आय की प्राप्ति में बाधाएँ उत्पन्न हो सकती हैं। इसके अतिरिक्त खर्चों की अधिकता भी परेशान कर सकती है। सम्पत्ति सम्बन्धी विवाद उत्पन्न हो सकते हैं, जिनके चलते मानसिक एवं पारिवारिक अशान्ति उत्पन्न हो सकती है। भूमि-भवन आदि के बेचने की भी स्थितियॉं बन सकती हैं। जोखिमपूर्ण धन-निवेश करना खतरे से खाली नहीं है। नियमित रूप से जो चला आ रहा है, उसे ही करने का प्रयास करना चाहिए।
रोजगार के क्षेत्र में भी बहुत अधिक अनुकूलताएँ इस गोचरावधि में प्राप्त होने की उम्मीद नहीं है। नौकरीपेशा वालों के लिए कार्यस्थल पर तनाव रह सकता है। कार्य की अधिकता के साथ-साथ वहॉं के बदलते माहौल से भी परेशानी उत्पन्न हो सकती है। उच्चाधिकारियों से सम्बन्धों में तनाव हो सकता है, वहीं सहकर्मियों से भी अपेक्षित सहयोग प्राप्त न होने से आपका कार्य भी प्रभावित हो सकता है। स्थानान्तरण आदि की सम्भावनाएँ हैं। प्राइवेट नौकरी वालों के लिए नौकरी परिवर्तन की परिस्थितियॉं बन सकती हैं।
व्यवसायियों के लिए यह गोचरावधि शुभाशुभ फलदायक है। व्यावसायिक बाधाएँ कुछ हद तक परेशान कर सकती हैं, परन्तु नवीन क्षेत्रों में व्यवसाय विस्तार की योजनाएँ अधिक प्रगति नहीं कर पाएँगी, जिससे अधिक निराशा होगी। लाभ की वृद्धिदर में कमी की आशंका रहेगी। आकस्मिक बाधाएँ परेशान कर सकती हैं। अन्य कार्यों में व्यस्तताओं के चलते भी व्यवसाय प्रभावित हो सकता है।
अध्ययन की दृष्टि से यह गोचरावधि बहुत अधिक अनुकूल नहीं है। अध्ययन में बाधाएँ उत्पन्न होंगी, जिससे परीक्षा की अपेक्षित तैयारी भी सम्भव नहीं हो पाएगी और परीक्षा परिणाम भी प्रभावित हो सकता है। प्रतियोगिता परीक्षार्थियों को भी अधिक मेहनत करने की आवश्यकता रहेगी, क्योंकि अध्ययन में बाधाएँ एवं भाग्य का पूर्ण सहयोग नहीं मिल पाएगा।
राहतकारी उपाय : तुला राशि वालों के लिए शनि का चतुर्थ भाव में गोचर ढैया के अशुभ फल उत्पन्न करेगा। इन अशुभ फलों में राहत पाने के लिए निम्नलिखित उपायों का सहारा लेना चाहिए :
1. पॉंच कैरेट अथवा उससे अधिक वजन का नीलम दाहिने हाथ की मध्यमा अंगुली में धारण करना चाहिए।
2. ‘ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनये नम:’ मन्त्र का नित्य 108 बार जप करना चाहिए।
3. भगवान् शिव पर नित्य जल चढ़ाना चाहिए तथा महामृत्युंजय मन्त्र का भी जप करना चाहिए।
4. हनूमान् जी की पूजा-उपासना करनी चाहिए तथा मंगलवार-शनिवार सुन्दरकाण्ड का पाठ करना चाहिए।
5. पीपल पर नित्य जल चढ़ाना चाहिए तथा वहॉं तेल का दीपक जलाना चाहिए।
6. काले घोेड़े की नाल मुख्यद्वार पर (ण आकार में) लगाए तथा नाल का छल्ला मध्यमा अंगुली में धारण करें।