कोविड-19 जनित वर्तमान महासंकट क्या अप्रत्याशित है? क्या ज्योतिर्विद् इसका पूर्वाकलन नहीं कर पाए थे? क्या ग्रहों के संकेतों को समझने में विशेषज्ञ असमर्थ रहे थे? इन सभी प्रश्नों के उत्तर ‘न’ में ही हैं| ग्रहयोग लगातार आपदा एवं आर्थिक मंदी की ओर संकेत कर रहे थे और ‘ज्योतिष सागर’ ने इन संकेतों को समझकर इस महासंकट की आहट सुनते हुए इसके आपदा एवं आर्थिक मंदी आदि परिणामों को पूर्वाकलित किया था| अप्रैल, 2019 के अंक में ‘अपनी बात’ में संवत्सर के फलों का विश्लेषण करते हुए सर्वप्रथम इस प्रकार के संकट के सम्बन्ध में पूर्वाकलन वैश्विक एवं भारतीय सन्दर्भ में किया था| अप्रैल, 2019 के ज्योतिष सागर के पृष्ठ 7 पर लिखा है ‘‘ग्रहपरिषद् में राजा का पद शनि को प्राप्त हुआ है …. दस में से आठ पद पापग्रहों को प्राप्त हुए हैं, जो कि शुभ नहीं है|’’
भारत के सन्दर्भ में लिखा है कि ‘‘नवसंवत् का प्रारम्भ दिल्ली के आधार पर कर्क लग्न में हो रहा है| वर्ष प्रवेश लग्न में अष्टम भाव में बुध-शुक्र की युति घरेलू मामलों में उचित नहीं कही जा सकती| अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी और अपेक्षित विकास दर की प्राप्ति सम्भव नहीं होगी| गुरु-शनि के साथ मंगल का षडष्टक आतंकवादी गतिवधियों एवं सीमा पर तनाव के साथ-साथ प्राकृतिक एवं मानवजनित जनहानि की ओर भी संकेत कर रहा है|’’
20 अक्टूबर, 2019 को प्रकाशित नवम्बर, 2019 अंक में पृष्ठ 27 पर शनि-गुरु के धनु-मकर राशि में गोचर के सम्बन्ध में लिखा है कि ‘‘इनका प्रभाव पृथ्वी पर सामान्यतः उथल-पुथलकारी होता है … एशियाई देशों के लिए शनि एवं बृहस्पति की धनु-मकर राशि में युति परेशानी उत्पन्न करती है|’’ पृष्ठ 26 पर धनु राशि में गुरु के गोचर का भारत पर प्रभावों का पूर्वाकलन कुछ इस प्रकार किया गया था ‘‘यह गोचर नैसर्गिक राशि (मकर) से 12वॉं, स्वतन्त्रता कुण्डली में स्थित कर्क राशिस्थ चन्द्रमा से छठवॉं तथा लग्न वृषभ से आठवॉं तथा स्वतन्त्रताकालिक तुला राशिस्थ गुरु से तीसरा रहेगा| इस प्रकार सभी स्थितियों में बृहस्पति का गोचर शुभ नहीं है|’’
‘‘जहॉं तक दशाओं का सम्बन्ध है, दिसम्बर, 2019 से चन्द्रमा की महादशा में शनि की अन्तर्दशा रहेगी, जो कि जुलाई, 2021 तक है| यह अन्तर्दशा भी बहुत शुभ नहीं कही जा सकती|’’
‘‘बृहस्पति का धनु राशि में गोचर भारत की अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा नहीं कहा जा सकता| तृतीय एवं अष्टम भाव में बृहस्पति का गोचर मन्दी के साथ-साथ महँगाई की स्थिति उत्पन्न करता है, लोगों की क्रय शक्ति में कमी आती है, साथ ही बेरोजगारी की दर में वृद्धि होती है| नैसर्गिक राशि मकर से द्वादश भाव में गोचर यह दर्शाता है कि सरकार के लोकल्याणकारी कार्यों पर खर्चों में वृद्धि होगी|’’
‘‘5 नवम्बर को जब बृहस्पति का धनु राशि में प्रवेश होगा, तब शनि भी धनु राशि में ही होने के कारण इन दोनों की गोचरीय युति होगी, जिसके फलस्वरूप मौसम एवं प्राकृतिक आपदा से सम्बन्धित अप्रत्याशित घटना होने की आशंका रहेगी| प्राकृतिक आपदा के कारण जन-धन की हानि की भी आशंका रहेगी|’’ ध्यातव्य रहे कि महामारी भी एक प्राकृतिक आपदा है|
20 अक्टूबर, 2019 को प्रकाशित उक्त नवम्बर, 2019 अंक में ‘अपनी बात’ (पृष्ठ 7) में बुध के सूर्य बिम्ब के ऊपर से पारगमन के आधार पर वैश्विक एवं भारतीय अर्थव्यवस्था के सम्बन्ध में लिखा था ‘‘नवम्बर माह में ही बुध पारगमन की घटना हो रही है, जो कि भारत सहित विश्व के कई बड़े देशों में आर्थिक मन्दी की ओर संकेत करती है|’’
20 नवम्बर, 2019 को प्रकाशित दिसम्बर, 2019 की ‘ज्योतिष सागर’ में पृष्ठ 70 पर सूर्यग्रहण (26 दिसम्बर, 2019) और षड्ग्रही युति सम्बन्धी योग के भारत एवं विश्व पर प्रभावों का पूर्वाकलन करते हुए लिखा गया है कि ‘‘सूर्यग्रहण के समय धनु राशि में छह ग्रहों सूर्य, चन्द्रमा गुरु, बुध, शनि एवं केतु की युति होगी, जो कि एक ओर जहॉं सत्तावर्ग (सरकारों) के लिए परेशानीदायक है, वहीं दूसरी ओर प्राकृतिक आपदा एवं अन्य कारणों से जन-धनहानि की आशंका भी व्यक्त करती है|’’ पृष्ठ 7 पर ‘अपनी बात’ में पुनः लिखा है कि ‘‘ग्रहण के समय षड्ग्रही युति तथा वर्ष प्रवेश कुण्डली के द्वादश भाव में पंचग्रही युति जन-धनहानि एवं प्राकृतिक आपदा की ओर संकेत करते हैं|’’
उक्त पत्रिका के पृष्ठ 7 पर ही अर्थव्यवस्था के सम्बन्ध में पूर्वाकलन है कि ‘‘जहॉं तक अर्थव्यवस्था का प्रश्न है, तो आगामी वर्ष 2020 भारत की अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा नहीं कहा जा सकता| गोचर एवं दशाओं की प्रतिकूलता के चलते मंदी के साथ-साथ महँगाई की स्थिति उत्पन्न हो सकती है, जो कि अधिक परेशानीदायक है| लोगों की क्रयशक्ति में सतत रूप से कमी आ सकती है और बेरोजगारी की दर में भी वृद्धि होने की आशंका है| यह अवश्य है कि सरकार द्वारा लोककल्याणकारी कार्यों पर खर्चों में वृद्धि होगी|’’
इस प्रकार वर्तमान में विद्यमान वैश्विक संकट के सम्बन्ध में ग्रहयोग पर्याप्त संकेत दे रहे थे| वर्तमान में जहॉं महामारी के ‘जनहानि’ आदि के परिणाम दृष्टिगोचर हो रहे हैं, तो कुछ समय बाद अर्थव्यवस्था पर प्रभाव से सम्बन्धित परिणाम भी दृष्टिगोचर हो सकते हैं|
ज्योतिष सागर, मई, 2020 अंक में प्रकाशित