ऐसी थी भगवान् की व्यूह रचना

धर्म-उपासना

तीनों लोकों के विजेता राक्षसराज रावण पर विजय प्राप्त करने के लिए भगवान् श्रीराम ने समय-समय पर सेना की विभिन्न प्रकार से व्यूह रचना की| उस विशाल वानर-ॠक्ष-लंगूर सेना का प्रबन्धन करना ही बड़ा कठिन था| तुलसीदासजी कहते हैं कि उस सेना में 18 पद्म तो यूथपति ही थे| महर्षि वाल्मीकि के अनुसार नील की सेना में 10 अरब 8 लाख, रम्भ की सेना में 1 करोड़ 30 लाख, शरभ की सेना में 1 लाख 40 हजार, पनस की सेना में 50 लाख, विनथ की सेना में 60 लाख, गवय की सेना 70 लाख, कृथन की सेना में 10 अरब, प्रमाथी की सेना में 10 करोड़, गवाक्ष की सेना 1 करोड़ सैनिक थे| इनके अतिरिक्त वानरराज केसरी, किष्किन्धापति सुग्रीव, ॠक्षपति जामवंत, वानराधिपति सुषेण, वानरराज वेगदर्शी, वानरराज गन्धमादन इत्यादि अनेक सेनापति थे, जिनके अधीन करोड़ों-अरबों सैनिक थे| महर्षि वाल्मीकि के अनुसार समुद्रकोटि महौघ, 100 महौघ, 100 समुद्र, 100 खरब सहस्रमहापद्म, 100 पद्म, सहस्रमहावृन्द, 100 वृन्द, सहस्रमहाशंकु, 100 शंकु और सहस्रकोटि सैनिक भगवान् नाम की सेना में थे|
लंका पहुँचकर भगवान् राम ने सेना की पुरुषाकार व्यूह रचना की थी| इस पुरुषाकार व्यूह रचना में मस्तक स्थान पर स्वयं श्रीराम लक्ष्मण, विभीषण आदि प्रमुख योद्धाओं के साथ विद्यमान् थे| बायें पार्श्व में गन्धमाधन के नेतृत्व में विशाल सेना थी| दाहिने पार्श्व में ॠषभ के नेतृत्व में सेना थी| अंगद को हृदय वाला स्थान दिया गया था और पीछे का भाग सुग्रीव के नेतृत्व में था| जब युद्ध शुरू हुआ तब, भगवान् राम ने दुर्जेय लंका को घेरने के लिए चतुर्दिक् व्यूह रचना की| लंका जिस पर्वत पर बसी हुई थी, उस त्रिकूट पर्वत को सर्वप्रथम घेरा गया, यह व्यूह का बाह्यतम भाग था| लंका के परकोटे के मुख्यद्वार (उत्तरी द्वार) पर भगवान् राम स्वयं लक्ष्मण, विभीषण आदि मुख्य योद्धाओं के साथ बड़ी सेना सहित उपस्थित थे| भगवान् राम के पीछे वाले भाग में जामवंत रीछों की एक बड़ी सेना के साथ उपस्थित थे| भगवान् राम को बायीं ओर से सहायता देने के लिए ॠक्षराज धूम्र स्थित थे, वहीं दायीं ओर से सहायता देने के लिए लंगूरपति गवाक्ष उपस्थित थे| भगवान् राम ने किष्किन्धापति सुग्रीव को परकोटे का वायव्य भाग घेरने के लिए तैनात किया| वे 36 करोड़ यूथपतियों के साथ वहॉं स्थित थे| रामभक्त हनूमान् प्रमाथी, प्रघस आदि योद्धाओं के साथ पश्‍चिमी द्वार को घेरे हुए थे| अंगद ने दक्षिणी द्वार का मोर्चा संभाल रखा था| शतबलि को 20 करोड़ योद्धाओं के साथ आग्नेय दिशा की ओर से आक्रमण करने के लिए भगवान् ने तैनात किया| नील, मैंद और द्विविद पूर्वी द्वार पर एक बड़ी सेना के साथ आक्रमण के लिए तैयार थे| कुमुद के नेतृत्व में 10 करोड़ सैनिक ईशान दिशा से आक्रमण के लिए तैनात किए गए थे| व्यूह के केन्द्र में चारों द्वारों पर एक-एक करोड़ वानर सैनिक तैनात किए गए थे| इस व्यूह रचना से राक्षसों का बाहर निकलना और बाहरी दुनिया का लंका से सम्पर्क होना असम्भव था|•

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