कुम्भ
(गू, गे, गो, सा, सि, सू, से, सो, दा)
कुम्भ राशि वालों के लिए गुरु का धनु राशि में गोचर उनकी जन्मराशि से एकादश भाव में रहेगा। एकादश भाव में गुरु का गोचर प्राय: शुभफलदायक रहता है। इस दौरान कार्यों में अपेक्षानुरूप प्रगति होती है। प्राय: सभी क्षेत्रों में सफलता प्राप्ति के अवसर मिलते हैं। परिजनों एवं मित्रों का अपेक्षित सहयोग प्राप्त होता है, वहीं भाग्य का भी पर्याप्त सहारा मिलता है। कार्यों में मन एवं एकाग्रता के साथ संलग्न होंगे। इस दौरान मन प्रसन्न, विचारों में सकारात्मकता, जोश एवं उत्साह में वृद्धि इत्यादि शुभफल भी प्राप्त होंगे। स्वास्थ्य की दृष्टि से भी समय प्राय: अनुकूल फलदायक रहना चाहिए। विगत गोचरावधि में स्वास्थ्य सम्बन्धी जिन समस्याओं से आप परेशान रहे थे, उनमें राहत का अनुभव होगा। दीर्घकालिक रोगों से पीड़ित व्यक्तियों को भी इस अवधि में राहत का अनुभव होगा। पारिवारिक एवं सामाजिक क्षेत्र में शुभफल एवं समाचारों की प्राप्ति होगी। इस गोचरावधि में घर में मांगलिक कार्यक्रमों का आयोजन होगा। घर में शान्ति एवं सौहार्द का वातावरण बनेगा तथा पारिवारिक सहयोग से कार्यों में अपेक्षित वृद्धि होगी। सामाजिक मान-प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। पुरस्कार एवं सम्मान के अवसर आएँगे। सामाजिक संगठनों में सक्रियता बढ़ेगी। आर्थिक स्थिति की दृष्टि से भी यह गोचरावधि अनुकूल फलप्रद है। आय में वृद्धि के अवसर प्राप्त होंगे। पूर्व में किए गए धन-निवेश से लाभ के योग बन रहे हैं। नौकरी एवं व्यवसाय की दृष्टि से भी गुरु का धनु राशि में गोचर अनुकूल फलप्रद रहना चाहिए। पदोन्नति, वेतनवृद्धि एवं बेहतर नौकरी के अवसर आएँगे। व्यवसायियों को व्यापार विस्तार के अवसर मिलेंगे। साथ ही उनके धनलाभ में भी वृद्धि होगी।