निर्धन होने की स्थिति में केवल शाक से श्राद्ध करना चाहिए| यदि शाक भी नहीं हो, तो घास काटकर गाय को खिला देने मात्र से श्राद्ध सम्पन्न माना जाता है| यदि किसी कारणवश घास भी उपलब्ध न हो, तो किसी एकान्त स्थान पर जाकर श्रद्धा एवं भक्तिपूर्वक अपने हाथों को ऊपर उठाते हुए पितरों से निम्न प्रार्थना करनी चाहिए :
न मेऽस्ति वित्तं न धनं च नान्यच्छ्राद्धोपयोग्यं स्वपितृन्नतोऽस्मि|
तृष्यन्तु भक्त्या पितरो मयैतौ कृतौ भुजौ वर्त्मीने मारुतस्य॥
हे मेरे पितृगण! मेरे पास श्राद्ध के उपयुक्त न तो धन है, न धान्य आदि है| हॉं, मेरे पास आपके लिए श्रद्धा और भक्ति है| मैं इन्हीं के द्वारा आपको तृप्त करना चाहता हूँ| आप तृप्त हो जाएँ| मैंने दोनों भुजाओं को आकाश में उठा रखा है|