ये राम गुण गाये से आनन्द होता है
ये राम गुण गाये से आनन्द होता है,
ये हरि का गुण गाये से आनन्द होता है|
आनन्द होता है परमानन्द होता है,
ये राम गुण गाये से आनन्द होता है॥ टेर ॥
यह माया मन की मोहनी क्यों जी ललचाता है,
कर्मों में लिख दिया कॉंकरा हीरों को जाता है॥
ये राम गुण गाये से आनन्द होता है,
ये हरि का गुण गाये से आनन्द होता है|
यह गंगा यमुना छोड़कर नालों में नहाता है,
ईश्वर की भक्ति छोड़कर विषयों को चाहता है॥
ये राम गुण गाये से आनन्द होता है,
ये हरि का गुण गाये से आनन्द होता है|
यह मेवा मिठाई छोड़कर क्यों जहर खाता है,
आमों की डाली छोड़कर बबूल खाता है॥
यह चाल चालगत छोड़कर कुचाल चलाता है,
सुन सन्त समागम हरि कथा स्वर्गों में जाता है॥
ये राम गुण गाये से आनन्द होता है,
ये हरि का गुण गाये से आनन्द होता है|
