जब आत्मा किसी जीव के शरीर का त्याग करती है, तो उस जीव के शरीर में किस प्रकार के परिवर्तन होते हैं? यह विषय सामान्य जन के लिए ही नहीं, बल्कि विज्ञान के लिए भी शोध का विषय है| हालांकि पहला प्रश्न तो यह बनता है कि आत्मा के अस्तित्व को माना जाए अथवा नहीं? आज भी कई वैज्ञानिक आत्मा के अस्तित्व को नकारते हैं और मानव शरीर को सिर्फ रासायनिक प्रक्रिया का परिणाम ही मानते हैं, लेकिन ऐसे वैज्ञानिकों के लिए भी यह तथ्य विशेष रूप से शोध वाला रहा है कि जब मनुष्य की मृत्यु होती है, तो उसके शरीर में किस प्रकार के परिवर्तन होते हैं?
हाल ही में अमेरिका के जॉर्ज वॉशिंगटन विश्वविद्यालय के मेडिकल सेंटर में चिकित्सकों को गम्भीर रोगियों की मरणासन्न स्थिति में उनके मस्तिष्क की गतिविधियों को रिकॉर्ड करने में सफलता प्राप्त हुई है| चिकित्सकों को इन रोगियों के अध्ययन में उनकी मृत्यु से पूर्व उनके मस्तिष्क में एक जैसी तरंगों की हलचल दिखाई दी है| अपनी मृत्यु से कुछ ही क्षण पूर्व इन रोगियों को मस्तिष्क तरंगों की गतिविधि के रूप में एक धमाके का अनुभव हुआ, जो एक शूल के रूप में उठा| सात रोगियों में इसकी तीव्रता और अवधि लगभग समान थी| इस अवधि में रोगियों का चेतना स्तर जॉंचने के लिए ई.सी.सी. का उपयोग किया जा रहा था| इन वैज्ञानिकों के अनुसार जब मस्तिष्क में रक्त प्रवाह अचानक बन्द हो जाता है, तब ये हाई वॉल्टेज ऊर्जा का विस्फोट करता है| यह स्थिति ऐसी है जैसे शरीर से कोई ऊर्जा अचानक खत्म हो गई हो| क्या यह आत्मा द्वारा शरीर छोड़ने की प्रक्रिया है? इस प्रश्न का उत्तर पूर्ण रूप से ‘हॉं’ के रूप में देना तो सम्भव नहीं है, लेकिन मृत्यु से पूर्व मनुष्य के शरीर में होने वाली अनुभूतियों के आधार पर इसे भी एक कारण रूप में माना जा सकता है| हालांकि वैज्ञानिक आधुनिक, उन्नत एवं संवेदनशील यन्त्रों से इस पहेली को उजागर करने के लिए वैज्ञानिक शोध कर रहे हैं| वैसे आत्मा द्वारा शरीर छोड़ने के अनुभवों को कई व्यक्तियों ने अलग-अलग रूप में प्रस्तुत किया है, जो इस अनुभव के पश्चात् पुन: जीवित हो गए| किसी को आकाश गमन का अनुभव हुआ है, तो किसी को उत्साह की अनुभूति हुई है| किसी को बहुत अधिक चमकदार प्रकाश की उपस्थिति महसूस हुई है, तो किसी ने बहुत अधिक भयावह दृश्य को महसूस किया, परन्तु इन अनुभवों के आधार पर आत्मा का शरीर से अलग होने की प्रक्रिया को सिद्ध नहीं किया जा सकता है| यह विषय विज्ञान के लिए ही नहीं, बल्कि भारत के प्राचीन ग्रन्थों में भी उत्सुकता का रहा था|