सुनने में अविश्वसनीय लगता है, लेकिन राजस्थान के अलवर जिले में एक स्थान ऐसा भी है, जहॉं आज भी भूतों का वास है और इतना ही नहीं, रात्रि के समय वहॉं जाने पर पाबन्दी है| माना जाता है कि जो रात्रि में वहॉं जाता है, वह वहीं भूत बनकर रह जाता है| भानगढ़ नामक इस भूतिया गॉंव के बाजार और यहॉं की गलियों को देखकर ऐसा लगता है कि कभी यह गॉंव बहुत अधिक समृद्ध और वैभवशाली रहा होगा| आश्चर्य की बात तो यह है कि किसी भी प्रकार के ऐतिहासिक स्थान पर सरकार की ओर से ए.एस.आई. का ऑफिस खोजबीन हेतु बनाया जाता है, लेकिन अभी तक इस गॉंव के अन्दर ऐसा कोई ऑफिस नहीं बना| सरकारी अधिकारियों ने भी इस गॉंव से लगभग एक किलोमीटर दूर अपना ऑफिस बनाया है और यहॉं एक साइन बोर्ड लगा रखा है, जिस पर लिखा है सूर्यास्त के पश्चात् इस क्षेत्र में रुकना निषिद्ध है| वैसे यह गॉंव बहुत सुन्दर है| अन्दर रास्ते के दोनों ओर सुन्दर-सुन्दर हवेलियॉं और दूकानें बनी हुई हैं और अनेक मन्दिर भी हैं| ऐसा माना जाता है कि एक अभिशाप के कारण इस बसे-बसाए गॉंव की यह हालत हुई| स्थानीय कथाओं के अनुसार इस गॉंव के समीप ही गुरु बालूनाथ का स्थान था| गुरु बालूनाथ ने किसी बात पर कुपित होकर शाप दिया कि, ‘यदि इस स्थान पर बने हुए किसी भी महल की छाया मेरे स्थान तक पहुँच गई, तो यह गॉंव उजड़ जाएगा|’ उनकी इस बात पर एक व्यक्ति ने ध्यान नहीं दिया और अपने महल की चोटी को इतनी ऊँचाई तक बढ़ाया कि उसकी छाया उनके स्थान तक पहुँच गई और इस घटना के होते ही सम्पूर्ण गॉंव उजड़ गया| एक अन्य कथा के अनुसार भानगढ़ की रानी रत्नावली बहुत सुन्दर, विदूषी एवं तन्त्रशास्त्र की ज्ञाता थी| वह अपने योग्य वर की तलाश कर रही थी| तभी उस क्षेत्र में एक पहुँचे हुए तान्त्रिक ‘सिंघिया’ का आगमन हुआ| जब उसने रानी को देखा, तो उसके सौन्दर्य पर मोहित होकर उससे विवाह करने की इच्छा रखने लगा और इसके लिए उसने तन्त्र का सहारा लिया| एक दिन रानी की खास सेविका बाजार से रानी के लिए बालों में लगाने वाला तेल ला रही थी| तान्त्रिक ने जब उसे देखा, तो सम्मोहित करके उस तेल में तन्त्र विद्या से वशीकरण का ऐसा मन्त्र डाला कि जो भी उस तेल को अपने सिर में लगाता, वह उसके पास दौड़ा चला आता| सेविका जब वह तेल लेकर रत्नावली के पास गई, तो रत्नावली अपने दिव्य ज्ञान से देखते ही सब समझ गई| उसने वह तेल लिया और एक बड़े पत्थर पर डाल दिया| उसके इतना करते ही वह पत्थर चलने लगा और लुढ़कते हुए उस तान्त्रिक तक पहुँचा और उसे कुचल दिया| मरते हुए भी उस दुष्ट तान्त्रिक ने यह शाप दिया कि इस गॉंव में रहने वाले सभी व्यक्ति मरने के बाद दोबारा जन्म नहीं लेंगे और यहीं भूत बनकर रहेंगे| इस शाप के अगले वर्ष ही भानगढ़ एवं अजबगढ़ के राजाओं में युद्ध हुआ और इस युद्ध में भानगढ़ का कोई भी व्यक्ति जीवित नहीं बचा| तभी से यह स्थान भूतिया और रहस्यमयी हो गया|