अक्षय तृतीया पर करें मनोकामनापूर्ति

तन्‍त्र-मन्‍त्र-यन्‍त्र

वैशाख मास के शुक्लपक्ष की तृतीया को अक्षय तृतीया अथवा आखातीज कहा जाता है| अक्षय शब्द का अर्थ है, जिसका कभी क्षय अर्थात् नाश न हो| दूसरे शब्दों में जो सदैव स्थायी एवं अक्षुण्ण रहे, वही अक्षय है| भविष्यपुराण के अनुसार इस दिन सभी कर्मों का फल अक्षय हो जाता है अर्थात् स्थायी हो जाता है| इसी कारण इसका नाम अक्षय तृतीया पड़ा| अक्षय तृतीया को किया गया जप-तप, हवन आदि का शुभ और अनन्त फल मिलता है| भारतीय ज्योतिष में इसे अबूझ मुहूर्त कहा गया है| इस दिन विशेष कामनाओं के लिए की गई साधनाएँ शीघ्र एवं स्थायी फलदायी होती हैं| अक्षय तृतीया के अवसर पर निम्नलिखित सुख-समृद्धिकारक प्रयोग किए जा सकते हैं ः
विघ्नहर्ता मूँगा गणेश प्रयोग
यदि आपके कार्यों में रुकावटें आती हों, कार्य होते-होते रुक जाता हो, तो आपको विघ्नहर्ता मूँगा के गणेश की साधना करनी चाहिए| इस साधना के लिए इस वर्ष की अक्षय तृतीया विशेष फलदायी है| गौरी-विनायकोपेता में कहा गया है कि यदि अक्षय तृतीया के दिन चतुर्थी भी आ आए, तो यह योग शीघ्र एवं अधिक शुभ फलदायी होता है|
अभिजित मुहूर्त में विघ्नहर्ता मूँगा गणेश की घर के पूजा कक्ष में स्थापना करें तथा उनकी विधिपूर्वक पूजा करें| पूजा के उपरान्त निम्नलिखित स्तोत्र का ग्यारह बार पाठ करें ः
परं धाम परं ब्रह्म परेशं परमेश्‍वरम्‌|
विघ्न-निघ्न-करं शान्तं पुष्टं कान्तं-अनंतकम्‌॥
सुरासुरइन्द्रैः सिद्ध-इन्द्रैः स्तुतं स्तौमि परात्परम्‌|
सुर-पद्म-दिनेशं च गणेशं मङ्गलायनम्‌॥
इदं स्तोत्रं महापुण्यं विघ्न-शोक-हरं परम्‌|
यः पठेत् प्रातः-उत्थाय सर्व-विघ्नात् प्रमुच्यते॥
प्रत्येक दिन मूँगा गणेशजी की धूप-दीप से पूजा करने के उपरान्त विघ्नहर्ता गणेश स्तोत्र का पाठ करें| आप स्वयं ही अनुभव करेंगे कि कार्यों में आने वाली बाधाएँ समय के साथ-साथ दूर होती जा रही हैं| चारों ओर आपको सफलता मिल रही है|
तंत्र प्रयोग रक्षार्थ
मूँगा हनूमान् प्रयोग
यदि आप दुश्मनों के तंत्र प्रयोगों से पीड़ित रहते हैं, तो अक्षय तृतीया के दिन यह साधना आपके लिए उपयोगी रहेगी| अक्षय तृतीया के एक दिन पूर्व अर्थात् ०६ मई को रात्रि में मूँगा हनूमान् की स्थापना अपने घर के एकांत कक्ष में चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर करें| उनका यथाविधि पूजन करें और उन पर सिन्दूर चढ़ाएँ, तदुपरान्त निम्नलिखित मंत्र का यथासंभव जप करें ः
ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय, पर- यंत्र-मंत्र- तंत्र-त्राटक-नाशकाय, सर्व- ज्वरच्छेदकाय, सर्व- व्याधि-निकृन्तकाय, सर्व- भय- प्रशमनाय, सर्व- दुष्ट- मुख- स्तम्भनाय, देव-दानव-यक्ष-राक्षस-भूत- प्रेत- पिशाच- डाकिनी- शाकिनी- दुष्टग्रह-बन्धनाय, सर्व- कार्य- सिद्धि-प्रदाय रामदूताय स्वाहा|
अक्षय तृतीया के दिन भी स्नानादि से निवृत्त होकर उक्त मंत्र का यथासंभव जप करें| अंत में क्षमा प्रार्थना करते हुए तंत्र प्रयोगों से रक्षा की हनूमान् जी से प्रार्थना करें| इस क्रिया के उपरान्त हनूमान् जी की स्थापना अपने पूजास्थान में कर लें| अक्षय तृतीया के पश्‍चात् भी उन्हें नित्य धूप-दीप दिखाया करें तथा उक्त मंत्र का न्यूनतम ग्यारह बार जप करें|
वैवाहिक सुखदायक
गौरी-शंकर रुद्राक्ष प्रयोग
अक्षय तृतीया को मॉं गौरी का पर्व भी माना जाता है| इस दिन गौरी (पार्वती) की पूजा कर स्थायी वैवाहिक सुख की कामना की जाती है| जिन व्यक्तियों के विवाह में देरी हो तथा विवाह के उपरान्त दाम्पत्य जीवन में तनाव के कारण पूर्ण वैवाहिक सुख नहीं मिल रहा है, तो उनके लिए यह प्रयोग लाभकारी है| दोनों ही प्रकार के व्यक्ति इस दिन शिवमंदिर में जाकर यदि गौरी-शंकर रुद्राक्ष धारण करें, तो उनकी मनोकामना शीघ्र पूर्ण होगी| गौरी-शंकर रुद्राक्ष वैवाहिक सुख के लिए चमत्कारी रुद्राक्ष है|
संतान सुख हेतु
संतानगोपाल प्रयोग
अक्षय तृतीया के दिन सन्तान प्राप्ति की इच्छा रखने वाले दम्पती यदि घर में पारद लड्‌डू गोपालजी की स्थापना करके नित्य सन्तानगोपाल स्तोत्र का पाठ करें, तो शीघ्र ही उन्हें संतान सुख प्राप्त होगा| अक्षय तृतीया के दिन आरम्भ की गई साधनाएँ पूर्णतः सफल होती हैं| सन्तान सुख की इच्छा रखने वाले दम्पतियों को यह अवसर नहीं चूकना चाहिए|
स्थायी लक्ष्मीकारक प्रयोग
लक्ष्मी साधना के लिए अक्षय तृतीया विशेष मुहूर्त है| विश्‍वामित्र ने इस दिन लक्ष्मी की साधना करके स्थायी लक्ष्मी का वरदान प्राप्त किया था| यही कारण है कि उनके आश्रम में लक्ष्मी का स्थायी वास था| अक्षय तृतीया को किए जाने वाले स्थायी लक्ष्मीकारक प्रयोग निम्नलिखित हैं ः
स्थायी लक्ष्मीकारक पारदलक्ष्मी प्रयोग
तन्त्रशास्त्र में पारदलक्ष्मी की साधना को शीघ्र फलदायी माना गया है| निर्धन से निर्धन व्यक्ति भी यदि पारदलक्ष्मी की पूर्ण श्रद्धा एवं विश्‍वास के साथ यथाविधि साधना करता है, तो वह शीघ्र ही धनवान् एवं ऐश्‍वर्यवान् बनता है|
अक्षय तृतीया के दिन सूर्योदय अथवा शुभ या अमृत चौघड़िए में यह साधना आरम्भ करनी चाहिए| स्नानादि से निवृत्त होकर घर के पूजाकक्ष में अथवा एकान्त कक्ष के ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) में एक चौकी अथवा पट्टे पर लाल रेशमी वस्त्र बिछाएँ| साबुत चावलों को हल्दी से पीला करें और उनसे चौकी पर अष्टदल कमल का निर्माण करें| उसके केन्द्र में प्राण-प्रतिष्ठित पारद लक्ष्मी की स्थापना करें| पारदलक्ष्मी के साथ मोती अथवा दक्षिणावर्ती शंख की अवश्य स्थापना करें| उसके उपरान्त सुपारी पर मौली लपेटकर गणेशजी के रूप में चौकी पर उनकी स्थापना कर दें तथा सर्वप्रथम गणेशजी का रोली, धूप,दीप आदि से पूजन करें| उसके उपरान्त पारदलक्ष्मी का पूजन करें| पारदलक्ष्मी के उपरान्त मोतीशंख अथवा दक्षिणावर्ती शंख की पूजा करें| यह ध्यान रखें कि पारदलक्ष्मी का पूजन करते समय कमल अथवा लाल गुलाब के फूल अवश्य चढ़ाएँ|
उक्त पूजन कार्यों को करने के उपरान्त कमलगट्टे की माला से न्यूनतम १०८ बार निम्नलिखित मंत्र का जप करें ः
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं पारदलक्ष्म्यै नमः|
अंत में क्षमा प्रार्थना करने के उपरान्त मॉं लक्ष्मी से अपने घर में स्थायी निवास के लिए प्रार्थना करें| दूसरे दिन मॉं लक्ष्मी (पारदलक्ष्मी) को अपने घर के पूजास्थान अथवा तिजोरी में स्थापित कर दें और समय-समय पर धूप, दीप आदि से पूजन करते रहें तथा उक्त मंत्र का न्यूनतम ग्यारह बार प्रतिदिन जप करें|
यह प्रयोग अपनी दूकान, ऑफिस, फैक्ट्री आदि में भी किया जा सकता है|
स्थायी लक्ष्मीकारक
टाइगर दक्षिणावर्ती शंख प्रयोग
जन्म कुण्डली में शनि, राहु आदि पाप ग्रहों के अशुभ फलों अथवा शनि की साढ़ेसाती एवं राहु के अशुभ गोचर के कारण जीवन में ऐसा समय भी आता है, जब सभी स्रोतों से आय रुक जाती है तथा ॠण एवं निर्धनता का चक्रव्यूह आरंभ हो जाता है| इस चक्रव्यूह में व्यक्ति जब फंसने लगता है, तो उसे निकलने का कोई रास्ता नहीं दिखता है| वह एक कार्य को छोड़कर दूसरा कार्य आरंभ करता है, किन्तु दुर्भाग्य उसका पीछा नहीं छोड़ता है| वह और ॠण के दबाव में आ जाता है| ऐसी स्थिति में इन ग्रहों का उपचार करना ही ॠण एवं निर्धनता से मुक्ति दिला सकता है| शनि एवं राहुजनित ॠण एवं निर्धनता के चक्रव्यूह को तोड़ने के लिए अक्षय तृतीया के दिन स्थायी लक्ष्मीकारक टाइगर दक्षिणावर्ती शंख प्रयोग आपके लिए लाभदायक रहेगा|
अक्षय तृतीया के दिन सूर्योदय अथवा शुभ एवं अमृत चौघड़िए में यह प्रयोग आरम्भ करना चाहिए| स्नानादि से निवृत्त होकर घर के एकान्त कक्ष की उत्तर-पूर्व दिशा में एक चौकी पर लाल रेशमी वस्त्र बिछाकर लाल गुलाब के पुष्पों के ऊपर टाइगर दक्षिणावर्ती शंख की स्थापना करें, उसमें साबुत चावल (अक्षत), पंचमेवा, रत्न एवं दक्षिणा (पैसे, चॉंदी का सिक्का हो, तो श्रेयस्कर) रख दें| अब टाइगर दक्षिणावर्ती शंख की रोली, धूप, दीप आदि से पूजा करें, तदुपरान्त निम्नलिखित मंत्र का जप करें ः
ॐ श्रीं ह्रीं दारिद्र्‌य विनाशिन्ये धनधान्य समृद्धि देहि देहि स्वाहा|
अंत में क्षमा प्रार्थना करते हुए मॉं लक्ष्मी से धन-धान्य एवं समृद्धि प्राप्ति की प्रार्थना करें तथा शनि-राहु आदि पापग्रहों से मुक्त करवाने की प्रार्थना करें| दूसरे दिन टाइगर दक्षिणावर्ती शंख को सामग्री सहित लाल रेशमी वस्त्र में बॉंधकर अपनी तिजोरी अथवा गल्ले में स्थापित कर दें| यह प्रयोग भी दूकान-ऑफिस, फैक्ट्री आदि में भी किया जा सकता है|
स्थायी लक्ष्मीकारक एकाक्षी नारियल प्रयोग
तंत्र शास्त्र के अनुसार जिस घर में एकाक्षी नारियल की स्थापना की जाती है, उस घर में दरिद्रता कभी नहीं आती है| एकाक्षी नारियल की स्थापना के लिए अक्षय तृतीया विशिष्ट मुहूर्त है| इस दिन एकाक्षी नारियल की स्थापना करने से शीघ्र एवं स्थायी फल प्राप्त होंगे|
लक्ष्मीदायक गौमती चक्र
गौमतीचक्र को लक्ष्मीदायक माना गया है| अक्षय तृतीया के दिन यदि ग्यारह गौमतीचक्र एवं ग्यारह कौड़ियॉं किसी लाल कपड़े में बॉंधकर अपनी दूकान, ऑफिस अथवा फैक्ट्री के मुख्य द्वार की चौखट पर लगा दी जाए, तो व्यापार एवं व्यवसाय में वृद्धि होगी| यह सरल किन्तु आश्‍चर्यजनक परिणाम देने वाला प्रयोग है| इसे पूर्ण श्रद्धा एवं विश्‍वास के साथ करना चाहिए|
अशुभ ग्रहों की अनिष्टता को
दूर करने हेतु सूर्य प्रयोग
यदि आपकी जन्म कुण्डली में ग्रहों के अस्त होने के कारण वे अशुभ परिणाम दे रहे हैं, तो आपके लिए यह प्रयोग विशेष फलदायी है| इस प्रयोग का आरंभ अक्षय तृतीया से किया जा सकता है| स्नानादि से निवृत्त होकर ताम्रपात्र में शुद्ध जल लेकर भगवान् सूर्य को पूर्वाभिमुख होकर चढ़ाएँ तथा निम्नलिखित मंत्र का जप करें ः
ॐ भास्कराय विद्महे महा-तेजाय धीमहि, तन्नो सूर्यः प्रचोदयात्‌|
प्रत्येक दिन सात बार जल चढ़ाना चाहिए| यदि यह प्रयोग मंदिर में सूर्योदय के एक घण्टे के भीतर किया जाए, तो अतिशीघ्र फल मिलते हैं|•

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