Published : April, 2009
जैसा कि हम जानते हैं आद्यगुरु शंकराचार्य जी ने सनातन धर्म के कल्याणार्थ सम्पूर्ण भारत में पृथक्-पृथक् दिशाओं में चार मठों की स्थापना की| ये मठ हैं :
1. वेदान्त ज्ञानमठ, शृंगेरी (दक्षिण भारत)
2. गोवर्धन मठ, जगन्नाथपुरी (पूर्वी भारत)
3. शारदा (कालिका) मठ, द्वारका (पश्चिम भारत)
4. ज्योतिर्पीठ, बद्रिकाश्रम (उत्तर भारत)
शंकराचार्य जी ने इन मठों की स्थापना के साथ-साथ उनके मठाधीशों की भी नियुक्ति की, जो बाद मेें स्वयं शंकराचार्य कहलाये| प्रत्येक मठ के शंकराचार्य से गुरु-शिष्य परम्परा विकसित हुई और उसी परम्परा से मठाधीश कालान्तर में नियुक्त होते गए| वे भी शंकराचार्य के नाम से जाने गए| चारों मठों की शंकराचार्य परम्परा की संक्षिप्त जानकारी प्रस्तुत आलेख में दी जा रही है|
शृंगेरी मठ एवं उसकी शंकराचार्य परम्परा
शृंगेरी मठ भारत के दक्षिण भाग में रामेश्वरम् में स्थित है| इस मठ के अन्तर्गत संन्यासियों के सरस्वती, भारती तथा पुरी सम्प्रदाय आते हैं| इस मठ का महावाक्य ‘अहं ब्रह्मास्मि’ है तथा मठ के अन्तर्गत यजुर्वेद आता है| इस मठ के प्रथम मठाधीश को लेकर विवाद है, लेकिन अधिकतर विद्वानों के अनुसार इस मठ के प्रथम मठाधीश आचार्य सुरेश्वर ही थे, जिनका पूर्व में नाम मण्डन मिश्र था| सर्वप्रथम शंकराचार्य जी ने इसी मठ की स्थापना की थी| सुरेश्वर जी के उपरान्त नित्यबोध धनाचार्य शंकराचार्य पद पर प्रतिष्ठित हुए| वर्तमान में इस मठ पर भारती तीर्थस्वामी विराजमान हैं| शृंगेरी मठ की शंकराचार्य परम्परा क्रमानुसार निम्नलिखित है :
1. श्री आद्यगुरु शंकराचार्य, 2. श्री सुरेश्वराचार्य, 3. श्री नित्यबोध धनाचार्य, 4. श्री ज्ञानधनाचार्य, 5. श्री ज्ञानोत्तमाचार्य, 6. श्री ज्ञानगिर्याचार्य, 7. श्री सिंह गिर्याचार्य, 8. श्री ईश्वरतीर्थ, 9. श्री नरसिंहतीर्थ, 10. श्री विद्याशेखरतीर्थ, 11. श्री भारतीकृष्णतीर्थ, 12. श्री विद्यारण्य, 13. श्री चन्द्रशेखर भारती-1, 14. श्री नरसिंह भारती-1,
15. श्री चन्द्रशेखर भारती-2, 16. श्री पुरुषोत्तम भारती-1, 17. श्री शंकरानन्द भारती, 18. श्री चन्द्रशेखर भारती-3, 19. श्री नरसिंह भारती-2, 20. श्री पुरुषोत्तम भारती-2, 21. श्री रामचन्द्र भारती, 22. श्री नरसिंह भारती-3, 23. श्री नरसिंह भारती-4, 24. श्री अभिनव नरसिंह भारती-1, 25. श्री सच्चिदानंद भारती-1, 26. श्री नरसिंह भारती-5, 27. श्री सच्चिदानन्द भारती-2, 28. श्री अभिनव सच्चिदानन्द भारती-1, 29. श्री अभिनव नरसिंह भारती-2, 30. श्री सच्चिदानन्द भारती-3, 31. श्री अभिनव सच्चिदानन्द भारती-2, 32. श्री नरसिंह भारती-6, 33. श्री सच्चिदानन्द शिवाभिनव नरसिंह भारती, 34. श्री चन्द्रशेखर भारती-4, 35. श्री अभिनव विद्यातीर्थ, 36. श्री भारती कृष्णतीर्थ|
गोवर्धन मठ एवं उसकी शंकराचार्य परम्परा
गोवर्धन मठ भारत के पूर्वी भाग में उड़ीसा राज्य के पुरी नगर में स्थित है| गोवर्धन मठ के प्रथम मठाधीश आद्य शंकराचार्य के प्रथम शिष्य पद्मपाद हुए| इस मठ के अन्तर्गत आरण्य सम्प्रदाय को रखा गया| इसके अवलम्बन के लिए ॠग्वेद को प्रमुखता प्रदान की गई तथा ‘प्रज्ञानं ब्रह्म’ नामक महावाक्य प्रदान किया है| शृंगेरी मठ के पश्चात् शंकराचार्य जी ने इस मठ की स्थापना की थी|
पद्मपाद जी के पश्चात् शूलपाणि इस मठ के द्वितीय शंकराचार्य हुए| वर्तमान में श्री निश्चलानन्द जी इस मठ के मठाधीश्वर हैं| गोवर्धन मठ की शंकराचार्य परम्परा क्रमानुसार निम्नलिखित हैं :
1. श्री पद्मपाद, 2. श्री शूलपाणि, 3. श्री नारायण, 4. श्री विद्यारण्य, 5. श्री वामदेव, 6. श्री पद्मनाभ, 7. श्री जगन्नाथ, 8. श्री मधुरेश्वर, 9. श्री गोविन्द, 10. श्रीधर, 11. माधवानन्द, 12. श्री कृष्णा ब्रह्मानंद, 13. श्री रामानंद, 14. श्री वागीश्वर, 15. श्री परमेश्वर, 16. श्री गोपाल, 17. श्री जर्नादन, 18. श्री ज्ञानानन्द, 19. श्री वृहदारण्य, 20. श्री महादेव, 21. श्री परमब्रह्मानंद, 22. श्री रामानंद, 23. श्री सदाशिव, 24. श्री हरीश्वरानंद, 25. श्री बोधानन्द, 26. श्री रामकृष्ण, 27. श्री चिद्बोधात्म, 28. श्री तत्त्वक्षवर, 29. श्री शंकर, 30. श्री वासुदेव, 31. श्री हयग्रीव, 32. श्री स्मृतीश्वर, 33. श्री विद्यानंद, 34. श्री मुकुन्दानंद, 35. श्री हिरण्यगर्भ, 36. श्री नित्यानंद, 37. श्री शिवानंद, 38. श्री योगीश्वर, 39. श्री सुदर्शन, 40. श्री व्योमकेश, 41. श्री दामोदर, 42. श्री योगानंद, 43. श्री गोलकेश, 44. श्री कृष्णानंद, 45. श्री देवानंद, 46. श्री चंद्रचूड, 47. श्री हलायुध , 48. श्री सिद्धसेव्य, 49. श्री तारकात्मा, 50. श्री बोधायन, 51. श्री श्रीधर, 52. श्री नारायण, 53. श्री सदाशिव, 55. श्री विरूपाक्ष, 56. श्री विद्यारण्य, 57. श्री विशेश्वर, 58. श्री विबुधेश्वर, 59. श्री महेश्वर, 60. श्री मधुसूदन, 61. श्री रघूत्तम, 62. श्री रामचन्द्र , 63. श्री योगीन्द्र, 64. श्री महेश्वर, 65. श्री ओंकार, 66. श्री नारायण, 67. श्री जगन्नाथ, 68. श्री श्रीधर, 69. श्री रामचंद्र, 70. श्री ताम्राक्ष, 71. श्री उग्रेश्वर, 72. श्री उद्दण्ड, 73. श्री सकर्षण, 74. श्री जनार्दन, 75. श्री अखण्डात्मा, 76. श्री दामोदर, 77. श्री शिवानंद, 78. श्री गदाधर, 79. श्री विद्याधर, 80. श्री वामन, 81. श्री शकर, 82. श्री नीलकंठ, 83. श्री रामकृष्ण, 84. श्री रघूत्तम, 85. श्री दामोदर, 86. श्री गोपाल, 87. श्री मृत्युंजय, 88. श्री गोविन्द, 89. श्री वासुदेव, 90. श्री गंगाधर, 91. श्री सदाशिव, 92. श्री वामदेव, 93. श्री उपमन्यु, 94. श्री हयग्रीव, 95. श्री हरि, 96. श्री रघूत्तम, 97. श्री पुण्डरीकाक्ष, 98. श्री पराशंकर तीर्थ, 99. श्री वेदगर्भ, 100. श्री वेदान्त भास्कर, 101. श्री विज्ञानात्मा, 102. श्री शिवानंद, 103. श्री महेश्वर, 104. श्री रामकृष्ण, 105. श्री वृषध्वज, 106. श्री शुद्धबोध, 107. श्री सोमेश्वर, 108. श्री गोपदेव, 109. श्री शंभुतीर्थ, 110. श्री भृगु, 111. श्री केशवानंद, 112. श्री विद्यानंद, 113. श्री वेदानंद, 114. श्री बोधानंद, 115. श्री सुतपानंद, 116. श्री श्रीधर, 117. श्री जनार्दन, 118. श्री कामनाशनानंद, 119. श्री हरिहरानंद, 120. श्री गोपाल, 121. श्री कृष्णानंद, 122. श्री माधवानंद, 123. श्री मधुसूदन, 124. श्री गोविन्द, 125. श्री रघूत्तम, 126. श्री वामदेव, 127. श्री हृषीकेश, 128. श्री दामोदर, 129. श्री गोपालानंद, 130. श्री गोविन्द, 131. श्री रघुनाथ, 132. श्री रामचंद, 133. श्री गोविन्द, 134. श्री रघुनाथ, 135. श्री रामकृष्ण, 136. श्री मधुसूदन, 137. श्री दामोदर, 138. श्री रघूत्तम, 139. श्री शिव, 140. श्री लोकनाथ, 141. श्री दामोदर तीर्थ, 142. श्री मधुसूदन तीर्थ, 143. श्री भारती कृष्ण तीर्थ, 144. श्री निरंजनदेव तीर्थ, 145. श्री निश्चलानंद सरस्वती
शारदा मठ एवं उसकी शंकराचार्य परम्परा
शारदा (कालिका) मठ गुजरात में द्वारकाधाम में स्थित है| इस मठ के अन्तर्गत ‘तीर्थ’ और ‘आश्रम’ सम्प्रदाय आते हैं| इसमें सामवेद की प्रमुखता है तथा इसका महावाक्य ‘तत्त्वमसि’ है| शारदा मठ के प्रथम मठाधीश हस्तामलक (पृथ्वीधर) थे| हस्तामलक शंकराचार्य जी के प्रमुख चार शिष्यों में से एक थे| गोवर्धन मठ के पश्चात् शारदा मठ की स्थापना की गई| हस्तामलक जी के पश्चात् ब्रह्मस्वरूपाचार्य मठाधीश्वर बने| वर्तमान में इस मठ पर स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती विराजमान हैं|
1. श्री हस्तामलक, 2. ब्रह्मस्वरूपाचार्य, 3. चित्सुखाचार्य, 4. सर्वज्ञानाचार्य, 5. ब्रह्मानन्द तीर्थ, 6. स्वरूपाविज्ञानाचार्य, 7. मंगलमूर्त्याचार्य, 8. भास्कराचार्य, 9. प्रज्ञानाचार्य, 10. ब्रह्मज्योत्स्नाचार्य, 11. आनंदवीर भावाचार्य, 12. कलानिधि तीर्थ, 13. चिद्विलासाचार्य, 14. विभूत्यानन्दचार्य, 15. स्फूर्तिनिलय पाद, 16. वरतन्तुपाद, 17. योगरूढ़ाचार्य, 18. विज्ञानडिण्डिमाचार्य, 19. विद्यातीर्थ, 20. चिच्छक्तिदाचार्य, 21. विज्ञानेश्वरतीर्थ, 22. ॠतम्भराचार्य, 23. अमरेश्वरगुरु, 24. सर्वमुखतीर्थ 25. स्वानन्ददेशिक 26. समररसिक 27. नारायणाश्रम 28. वैकुण्ठाश्रम 29. त्रिविक्रमाश्रम 30. शशिशेखराश्रम 31. त्रयम्बकाश्रम 32. चिदम्बराश्रम 33. केशवाश्रम 34. चिदम्बराश्रम 35. पद्मनाभाश्रम 36. महादेवाश्रम 37. सच्चिदानन्दाश्रम 38. विद्याशंकराश्रम 39. अभिनव सच्चिदानन्दाश्रम 40. नृसिंहाश्रम 41. वासुदेवाश्रम 42. पुरुषोत्तमाश्रम 43. ज्ञानार्धनाश्रम 44. हरिहराश्रम 45. भावाश्रम 46. ब्रह्माश्रम 47. वसनाश्रम 48. सर्वज्ञानाश्रम 49. प्रद्युम्नाश्रम 50. गोविन्दाश्रम 51. चिदाश्रम 52. विश्वेश्वराश्रम 53. दामोदराश्रम 54. महादेवाश्रम 55. अनिरुद्धाश्रम 56. अच्युताश्रम 57. माधवाश्रम 58. आनन्दाश्रम 59. विश्वरूपाश्रम 60. चिद्घनाश्रम 61. नृसिंहाश्रम 62. मनोहराश्रम 63. प्रकाशानन्द सरस्वती 64. विशुद्धानन्दाश्रम 65. वामनेश 66. केशवाश्रम 67. मधुसूदनाश्रम 68. हयग्रीवाश्रम 69. प्रकाशाश्रम 70. हयग्रीवाश्रम सरस्वती 71. श्री धराश्रम 72. दामोदराश्रम 73. केशवाश्रम 74. राजराजेश्वरशंकराश्रम 75. श्री माधव तीर्थ 76. श्री शान्तानन्द 77. श्री चन्द्र शेखराश्रम 78. अभिनव सच्चिदानन्दतीर्थ 79. स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती
ज्योतिर्मठ एवं उसकी शंकराचार्य परम्परा
ज्योतिर्मठ उत्तरांचल में बद्रिकाश्रम में स्थित है| इस मठ के अन्तर्गत ‘गिरि’, ‘पर्वत’ एवं ‘सागर’ नामक संन्यासी सम्प्रदाय आते हैं| इस मठ का महावाक्य ‘अयमात्मा ब्रह्म’ है| इस मठ से सम्बन्धित वेद अथर्ववेद है| ज्योतिर्मठ के प्रथम मठाधीश आचार्य तोटक बनाए गए| इस मठ की स्थापना अन्त में की गई थी| तोटकाचार्य के पश्चात् श्री विजय इसके मठाधीश बने| वर्तमान में ज्योतिर्मठ के मठाधीश्वर का पद विवादास्पद बना हुआ है| द्वारकापीठ के पीठाधीश्वर स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती, स्वामी वासुदेवानन्द सरस्वती और श्री माधव आश्रम के द्वारा इस पद पर दावा किया जा रहा है| ज्योतिर्मठ की शंकराचार्य परम्परा क्रमश: निम्नानुसार है :
1. श्री तोटकाचार्य 2. श्री विजय 3. श्री कृष्ण 4. श्री कुमार 5. श्री गरुड 6. श्री शुक्र 7. श्री विन्ध्य 8. श्री विशाल 9. श्री बकुल 10. श्री वामन 11. श्री सुन्दर 12. श्री अरुण 13. श्री निवास 14. श्री आनन्द (सुखानन्द) 15. श्री विद्यानन्द 16. श्री शिव 17. श्री गिरि 18. श्री विद्याधर 19. श्री गुणानन्द 20. श्री नारायण 21. श्री उमापति 22. श्री बालकृष्णस्वामी 23. श्री हरिब्रह्म स्वामी 24. श्री हरिस्मरण 25. श्री वृन्दावन स्वामी 26. श्री अनन्त नारायण 27. श्री भवानन्द 28. श्री कृष्णानन्द स्वामी 29. श्री हरिनारायण 30. श्री ब्रह्मानन्द 31. श्री देवानन्द 32. श्री रघुनाथ 33. श्री पूर्णदेव 34. श्री कृष्णदेव 35. श्री शिवानन्द 36. श्री बालकृष्ण 37. श्री नारायण उपेन्द्र 38. श्री हरिश्चन्द्र 39. श्री सदानन्द 40. श्री केशवानन्द 41. श्री नारायणतीर्थ 42. श्री रामकृष्णतीर्थ 43. श्री ब्रह्मानन्द सरस्वती 44. श्री कृष्णबोधाश्रम|
कॉंची मठ
कॉंची मठ को भी आद्य शंकराचार्य द्वारा स्थापित मठ के रूप में माना जाता है, परन्तु यह विवादास्पद है| अधिकतर विद्वान् पूर्वोक्त चार मठों को ही आद्य शंकरचार्य द्वारा स्थापित मानते हैं| इसके विपरीत कॉंची मठ की परम्परा में यह माना जाता है कि आद्य गुरु शंकराचार्य इन इस मठ की स्थापना की थी और यहीं उन्होंने अपना शरीर त्यागा था| वे ईसापूर्व से मठाधीश्वरों की परम्परा मानते हैं| वर्तमान में जयेन्द्र सरस्वती कॉंची मठ के मठाधीश्वर हैं| वे इस परम्परा के 69वें मठाधीश्वर हैं|