धनकुबेरों की जन्मपत्रिका में धनयोग

प्रतिष्ठित फोर्ब्स पत्रिका विश्‍व के सर्वाधिक धनी व्यक्तियों की समय-समय पर सूची निकालती है| भारतीय स्तर पर भी सर्वाधिक धनी व्यक्तियों की सूची निकलती रहती है| इस सूची में जिनका नाम उच्च स्तर पर है, उनकी सम्पत्ति इतनी है, कि जिसकी कल्पना भी हमारे लिए बहुत बड़ी है| ये इतने धनी हैं कि इनके द्वारा […]

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तीसरी आँख जिससे कुछ भी नहीं है छुपा

प्रकाशन तिथि – मई, 2010 प्रत्येक मनुष्य के शरीर में दोनों नेत्रों के मध्य एक विशेष स्थान होता है, जिसे तीसरी आँख कहा जाता है| भगवान् शिव के चित्रों में यह तीसरा नेत्र स्पष्ट रूप से दिखाया जाता है| हिन्दू धर्म में दोनों नेत्रों के बीच इस स्थान पर तिलक लगाया जाता है| उसका प्रयोजन […]

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ज्योतिष में मधुमेह रोग

‘मिह सेचने’ धातु से अच् प्रत्यय करने पर ‘मेह’ शब्द की निष्पत्ति होती है| ‘प्रकृष्टो मेह: यस्मिन् रोगे, स: प्रमेह |’ अर्थात् जिस रोग में मूत्र की अधिकता हो, उसे प्रमेह (Disease of Urine) कहते हैं| इसका प्रसिद्ध एवं सामान्य लक्षण है – ‘प्रभूताविलमूत्रता’ अर्थात् प्रमेह में मूत्र की मात्रा अधिक हो जाती है और […]

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जानिए पितृदोष को

पितृदोष अर्थात् ऐसा दोष जो पितरों से सम्बन्धित हो| यहॉं पितृ शब्द का अर्थ पिता नहीं होकर पूर्वजों से होता है| ये वह पूर्वज होते हैं, जो मोक्ष की प्राप्ति अथवा मुक्ति प्राप्त नहीं होने के कारण पितृलोक में विचरण करते रहते हैं और परिजनों से भी इनका एक विशेष मोह होता है| जब श्राद्ध […]

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जन्मपत्रिका से जानें पितृदोष

भारतीय संस्कृत वाङ्‌मय में विभिन्न लोकों का वर्णन किया गया है, इनमें से ही एक लोक है, पितृ लोक, जहॉं पर पितृगणों का निवास होता है| इस लोक में रहने वाले पितृगण मोक्ष की अवस्था में नहीं रहते हैं| ‘पितृ’ शब्द का यहॉं लौकिक अर्थ पिता न होकर पूर्वज होता है| ऐसे पूर्वज सूक्ष्म देह […]

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छिपकली से सम्बन्धित शकुन-अपशकुन

छिपकलियॉं दो प्रकार की होती हैं एक तो वह जो घरों में पायी जाती हैं और दूसरी वह जो बगीचों में पायी जाती हैं| इन्हें ‘गिरगिट’ कहते हैं| सोमवार, गुरुवार और शुक्रवार को लाल रंग की छिपकली से अपशकुन कम हानिकारक होते हैं और रविवार तथा मंगलवार को लाल रंग की छिपकली और शनिवार को […]

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गया श्राद्ध का महत्त्व

श्राद्ध एवं पिण्डदान आदि के लिए समस्त तीर्थों में गया तीर्थ का विशेष महत्त्व है| धर्मशास्त्रों के अनुसार मृत्यु के पश्‍चात् व्यक्ति पितृ योनि में पितृलोक में निवास करता हैऔर वहॉं रहकर सुख-दु:ख आदि का भी अनुभव करता है| यदि मृतक के पुत्र-पौत्रादि उसके निमित्त दान-पुण्य एवं श्राद्धादि करते हैं, तो उसे सुख की प्राप्ति […]

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क्या होता है, जब हो पितृदोष …

जब कोई जातक पितृदोष से पीड़ित होता है, तो उसके जीवन में सफलता के सभी रास्ते बंद हो जाते हैं| वह समझ ही नहीं पाता कि उसके जीवन में आखिर क्यों इतना बुरा समय चल रहा है? जन्मपत्रिका में अनुकूल दशाएँ होने पर भी एवं गोचर दशाएँ सकारात्मक होने पर भी उस व्यक्ति का समय […]

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ऐसे भी कर सकते हैं श्राद्ध

निर्धन होने की स्थिति में केवल शाक से श्राद्ध करना चाहिए| यदि शाक भी नहीं हो, तो घास काटकर गाय को खिला देने मात्र से श्राद्ध सम्पन्न माना जाता है| यदि किसी कारणवश घास भी उपलब्ध न हो, तो किसी एकान्त स्थान पर जाकर श्रद्धा एवं भक्तिपूर्वक अपने हाथों को ऊपर उठाते हुए पितरों से […]

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ऐसे करें श्राद्ध

शास्त्रों में कहा गया है कि ‘श्रद्धया पितृन् उद्दिश्य विधिना क्रियते यत्कर्म तत् श्राद्धम्’ अर्थात् श्रद्धापूर्वक पितरों के उद्देश्य से जो कर्म किया जाता है, वह श्राद्ध कहलाता है| इसका मूल आशय यह है कि श्राद्धकर्म में सर्वप्रमुख श्रद्धा ही होती है| श्रद्धा के सामने अन्य विधि-विधान या उपक्रम गौणमात्र रह जाते हैं| महर्षि पराशर […]

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